NEET UG-2025 एडमिशन विवाद (सौजन्य-सोशल मीडिया)
NEET UG 2025 Controversy: हाई कोर्ट ने नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) यूजी-2025 की प्रवेश प्रक्रिया को चुनौती देने वाली 3 रिट याचिकाओं को एक साथ सुनवाई के बाद खारिज कर दिया। ये याचिकाएं ‘ऑनलाइन स्ट्रे वैकेंसी राउंड’ में 100 नई एमबीबीएस सीटों को शामिल करने के संबंध में दर्शिका गुप्ता, मेधज सिंघम और शिवानी शेल्के की ओर से दायर की गई थीं।
याचिकाकर्ताओं ने प्रवेश प्रक्रिया और ‘ऑनलाइन स्ट्रे वैकेंसी राउंड’ को चुनौती दी थी। उनका तर्क था कि वे मेधावी होने के बावजूद अवसर से वंचित रहे क्योंकि 100 नई एमबीबीएस सीटें जो अश्विनी मेडिकल कॉलेज, सोलापुर और मालती मेडिकल कॉलेज, मूर्तिजापुर में स्वीकृत की गई थीं, उन्हें कॉमन एडमिशन प्रोसेस राउंड 3 की समाप्ति के बाद जारी किया गया और सीधे ‘स्ट्रे वैकेंसी राउंड’ में शामिल कर दिया गया।
याचिकाकर्ता दर्शिका गुप्ता ने 86587 की ऑल इंडिया रैंक हासिल की थी। कैप राउंड 3 के बाद बीडीएस कोर्स में दाखिला ले लिया था लेकिन उनका मानना था कि इन 100 सीटों के तीसरे राउंड में उपलब्ध होने पर उन्हें एमबीबीएस में प्रवेश मिल सकता था। याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने संयुक्त रूप से तर्क दिया कि ‘स्ट्रे राउंड’ में 100 रिक्तियों को शामिल करने की अनुमति नहीं थी।
विशेष रूप से राज्य सीईटी सेल ने 100 सीटों को ‘स्ट्रे वैकेंसी राउंड’ में शामिल करने की कार्यवाही का समर्थन किया। राज्य सीईटी सेल ने कोर्ट को सूचित किया कि महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (MUHS) ने 4 नवंबर 2025 को ही सोलापुर और मूर्तिजापुर के 2 कॉलेजों को पहली बार संलग्नता प्रदान की थी जिससे एमबीबीएस की 100 सीटें बढ़ी थीं। महत्वपूर्ण बात यह थी कि 4 नवंबर 2025 कैप राउंड 3 में शामिल होने की अंतिम तिथि भी थी।
राज्य सीईटी सेल ने तर्क दिया कि सूचना पत्रिका में चौथे कैप राउंड के संचालन का कोई प्रावधान नहीं था। चूंकि ये सीटें कैप राउंड 3 की अंतिम तिथि पर बढ़ाई गईं, इसलिए उन्हें तीसरे राउंड के लिए एडमिशन पोर्टल पर प्रदर्शित नहीं किया जा सका। कोर्ट ने इस स्थिति को केवल संयोग माना कि कॉलेजों को पहली बार संलग्नता और कैप राउंड 3 की अंतिम तिथि एक ही दिन थी।
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कोर्ट ने जोर दिया कि यदि इन 100 सीटों को ‘स्ट्रे राउंड’ में शामिल नहीं किया जाता तो वे बेवजह खाली रह जातीं जिससे 100 पात्र छात्रों को लाभ से वंचित होना पड़ता। सभी पक्षों की दलीलों के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि प्रवेश प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी है और शैक्षणिक सत्र भी शुरू हो चुका है।
चूंकि 100 सीटें पहले ही भरी जा चुकी हैं और छात्रों के अधिकार ‘क्रिस्टलाइज़्ड’ हो चुके हैं, इसलिए पूरी प्रक्रिया को बाधित करना बड़े पैमाने पर छात्रों के हित में नहीं होगा। इन परिस्थितियों को देखते हुए कोर्ट ने याचिकाओं को खारिज कर दिया।