नागपुर ट्रैफिक (सौजन्य-नवभारत)
Nagpur Traffic Jam: नागपुर में धनतेरस के दिन कम से कम शहर के प्रमुख मार्गों को लेकर वहीं चालान वाले युग में ही ट्रैफिक विभाग जी रहा था। कहां चालान काटना, कहां बैरिकेड लगाना और ट्रैफिक को कहां से छोड़ना, इस पर किसी प्रकार का मंथन नहीं किया गया। नतीजा यह हुआ कि लोग घंटों तक इस गली से उस गली का चक्कर काटने को विवश हो गए। दुकानदार ग्राहकों के इंतजार में रह गए लेकिन कहीं पर भी पुलिस नहीं दिखी।
इतवारी, महल, धरमपेठ, जरीपटका, सदर की हालत में सुधार देखने को नहीं मिला। इसका कारण यह था कि दुकान के आगे ठेले लगे थे और ठेले के आगे (सड़क) फुटपाथ दुकान। तीन लेयर में कारोबार हो रहा था। बची हुई जगह वाहनों के लिए थी जिसके कारण हर एक कदम पर जाम की स्थिति बन गई। ट्रैफिक विभाग के लोग कहीं नजर नहीं आएं। वाहनों में बैठकर एनाउंसमेंट करते रहे लेकिन जमीन पर उतरे नहीं।
100 मीटर चलने के लिए भी लोग विवश हो गए। इतवारी में सड़कों पर वाहन खड़े कर दिए गए। ठेलों के आगे वाहन खड़े रहे और जाम को न्योता देते रहे परंतु किसी ने कुछ नहीं किया। लोग इस गली से उस गली भटकते रहे परंतु कहीं से भी निकासी के लिए मार्ग नहीं मिल रहा था। स्पष्ट था कि ट्रैफिक विभाग के पास प्लानिंग का अभाव था जो दुकानदारों और ग्राहकों के लिए भारी पड़ गया।
त्योहार के दिन भी इन मार्गों पर माल वाहक वाहन इतवारी के गली-गली को जाम करते रहे। वाहन बीच में खड़ा कर लोग बिंदास माल की लोडिंग-अनलोडिंग करते रहे जिसके कारण मार्ग घंटों जाम रहा। क्या मजाल की कोई भी इन्हें हटा सके। लोगों के लिए परेशानी उठाने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचा था।
इतवारी सहित महल, सेंट्रल एवेन्यू में बड़े पैमाने पर बैरिकेडिंग की गई थी। बैरिकेडिंग जी का जंजाल बन गयी। नंगा पुलता को पूरी तरह से घेर लिया गया। इस वजह से लोग भटकने को मजबूर हो गए। जाम से राहत मिलने की जगह लोग परेशान होते दिखाई दिए।
इसी प्रकार धारस्कर रोड स्थित बेहतर नहीं थी क्योंकि यहां पर भी सेंट्रल एवेन्यू पर बैरिकेडिंग कर दी गई थी जिसके कारण लोग उलझन में फंस रहे थे और वाहन को रिवर्स लेने के चक्कर में जाम कर रहे थे। सेंट्रल एवेन्यू के अधिकांश मार्गों पर छोटे-छोटे चौराहों को बौरिकेडिंग कर दिया गया था। नतीजा ‘जाम’ में वृद्धि देखी गई। हर खुले चौराहे पर यू-टर्न जाम को न्योता देते ही दिखा।
आम लोग ट्रैफिक विभाग और पुलिस पर गुस्सा उतारते हुए ही दिखे। घंटों तक जाम में फंसे लोगों ने बदइंतजामी पर भरपूर भड़ास निकाली। हजारों की संख्या में लोग बाजार में थे लेकिन अधिकांश लोगों का मजा जाम किरकिरा गया।
यह भी पढ़ें – धनतेरस पर Nagpur में टूटा रिकॉर्ड! 800 करोड़ का बंपर कारोबार, हर सेक्टर में जमकर हुई खरीदी
जब से अजनी चौक से चूना भट्ठी जाने वाले मार्ग को बंद कर दिया गया है, यह चौक सभी के ‘नियंत्रण’ से बाहर हो गया है। नियंत्रण के अभाव में इस चौक की पहचान ‘जाम चौक’ के रूप में होने लगी है। सुबह हो या दोपहर हर वक्त जाम की स्थिति बनी रहती है। शाम को यहां से निकल पाना मुश्किल हो जाता है। यहां से निकल जाने के बाद कृपलानी चौक पूरा कसर निकाल लेता है। कुल मिलाकर फ्लाईओवर का मजा इन दोनों चौक पर काफूर हो जाता है। टाइम की बचत भी बेकार हो जाती है।
आम लोगों की यह धारणा बन चुकी है कि ‘चालान युग’ में जी रहे ट्रैफिक विभाग की छवि अब वैसी ही बन चुकी है। शहर में कई ऐसे चौराहें हैं जहां पर 5-5 पुलिस वाले बैठे रहते हैं। मोबाइल में व्यस्त रहते हैं। चौक जाम रहने पर भी ये ‘मैदान’ में नहीं उतरते लेकिन जब चालान बनाने की बारी आती है तो ये सतर्क हो जाते हैं। इतनी फुर्ती में काम करते हैं जैसे नागरिकों को ‘बड़ी सेवा’ देने जा रहे हैं। जनता से कोई सरोकार नहीं रह गया है। ‘वसूली’ इसका व्यवहार बन चुका है।