विकास ठाकरे प्रेस वार्ता (सौजन्य-नवभारत)
Nagpur Development Plan Fraud: मनपा के आगामी चुनावों के मद्देनजर ही सही, लेकिन अब विपक्षी दल कांग्रेस के शहर अध्यक्ष विकास ठाकरे अचानक सक्रिय हो गए हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गत कुछ दिनों से न केवल जनता की समस्याओं को लेकर आवाज बुलंद की जा रही है, बल्कि मनपा प्रशासन के भ्रष्टाचार भी उजागर किए जा रहे हैं।
हालांकि मनपा में भ्रष्टाचार कोई नई बात तो नहीं है, लेकिन भ्रष्टाचार का आलम यह है कि लोगों की जान से भी खिलवाड़ करने में प्रशासन नहीं चूक रहा है। शुक्रवार को पत्र परिषद में विधायक विकास ठाकरे ने इसी तरह के कई मुद्दे उजागर किए जिसमें मनपा के नगर रचना विभाग की ओर से नियमों को ताक पर रखकर आवासीय प्लॉट पर बहुमंजिला अस्पताल के निर्माण को मंजूरी प्रदान कर दी गई। उन्होंने कहा कि जिस बिल्डर ने इस इमारत का निर्माण किया, उसका न केवल फर्जी क्षेत्रफल बल्कि उसे एफएसआई का लाभ भी प्रदान किया गया।
विकास ठाकरे ने आरोप लगाया कि मनपा के अभियंताओं ने संबंधित बिल्डर को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए जानबूझकर भूखंड का क्षेत्रफल कृत्रिम रूप से बढ़ाया और एफएसआई में हेरफेर किया। ठाकरे ने यह भी आरोप लगाया कि ठोस सबूत और कानूनी राय उपलब्ध होने के बावजूद प्रशासक अभिजीत चौधरी ने संबंधित अभियंताओं को संरक्षण दिया, जो उनके साठगांठ का स्पष्ट प्रमाण है।
उन्होंने कहा कि धंतोली में स्थित नज़ूल भूखंड, जिसका वास्तविक क्षेत्रफल 1,622.9 वर्ग मीटर था, सुम्भ परिवार को उनके निवासी उपयोग के लिए लीज पर दिया गया था। इसके बावजूद मनपा के अभियंताओं ने 2021 में सुम्भ परिवार के पावर ऑफ अटर्नी धारक बिल्डर संजीव शर्मा के नाम पर 39.52 मीटर ऊंचे जी+8 मंजिला अस्पताल और वाणिज्यिक इमारत के निर्माण मानचित्र को मंजूरी दी।
वरिष्ठ अधिवक्ता एस. के. मिश्रा की कानूनी सलाह में स्पष्ट रूप से बताया गया कि यह लीज की शर्तों का उल्लंघन है और इस मंजूरी को किसी भी कीमत पर न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता।
ठाकरे ने कहा कि मनपा के अभियंताओं ने निर्माण मानचित्र को मंजूरी देते समय भूखंड का क्षेत्रफल लीज अनुबंध में निर्दिष्ट 1,622.9 वर्ग मीटर के बजाय 1,761.89 वर्ग मीटर माना। इस प्रकार अभियंताओं ने 138.99 वर्ग मीटर (1,495.53 वर्ग फुट) क्षेत्रफल कृत्रिम रूप से बढ़ाकर बिल्डर को अनुचित और अतिरिक्त एफएसआई लाभ पहुंचाया।
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उन्होंने कहा कि एक विशेष दीवानी मामले में 7 नवंबर 2001 को एक समझौता डिक्री दी गई थी, जिसके अनुसार सुम्भ और भागवत दोनों पक्षों की संयुक्त सहमति के बिना किसी भी कंस्ट्रक्शन प्लान को मंजूरी नहीं दी जा सकती थी। मनपा को इस डिक्री की सूचना दी गई थी। फिर भी अभियंताओं ने केवल बिल्डर द्वारा प्रस्तुत आवेदन के आधार पर प्लान को मंजूरी दी।
सुम्भ परिवार ने 2019 में जिलाधिकारी कार्यालय को गलत जानकारी दी कि वे अपने हिस्से पर आवासीय इमारत बनाएंगे, जबकि उन्होंने पहले ही 2016 में मनपा से अस्पताल/वाणिज्यिक उपयोग के लिए पहला कंस्ट्रक्शन प्लान स्वीकृत करवा लिया था। इसके अलावा 2019 में उप-विभाजन होने के बावजूद 2021 में संशोधित डेवलपमेंट प्लान को संपूर्ण संयुक्त भूखंड पर मंजूरी दी गई, जिससे बिल्डर को अवैध रूप से अतिरिक्त एफएसआई और खुली जगहों में छूट मिली।
उन्होंने कहा कि अशोक भागवत के पुत्र लेफ्टिनेंट कर्नल अनंत भागवत ने 2014 से लगातार कई शिकायतें दर्ज की थीं। इसके बावजूद मनपा के इंजीनियरों ने बिल्डर के फायदे के लिए नियम उल्लंघन जारी रखे। आश्चर्यजनक यह कि इंजीनियरों ने 2023 में 8 मंजिल इस इमारत के लिए आंशिक भोगवटा प्रमाणपत्र (Part Occupancy Certificate) भी मंजूर कर दिया। ठाकरे ने संबंधित इंजीनियरों को तुरंत निलंबित करने और आयुक्त के खिलाफ भी कार्रवाई करने की मांग की।