किसान आंदोलन से प्रभावित पेट्रोल पंप (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Nagpur Fuel Crisis: किसान आंदोलन के चलते अब दिक्कतें बढ़ने लगी हैं। एक तरफ जहां सिटी से वर्धा मार्ग की ओर जाने वाले जा नहीं पा रहे हैं वहीं उस तरफ से न तो लोग आ पा रहे हैं और न ही पेट्रोल-डीजल के टैंकर पंप तक पहुंच पा रहे हैं।
टैंकरों के नहीं पहुंच पाने के कारण कई पेट्रोल पंपों पर सप्लाई लड़खड़ा रही है। कई पंपों में लंबी कतारें लगी देखी गईं। आंदोलन की स्थिति और पूरी सड़क पर लगे जाम को देखते हुए टैंकर चालक अकोला मार्ग व हिंगना मार्ग का सहारा ले रहे हैं लेकिन उन्हें काफी लंबा सफर तय करना पड़ रहा है।
आंदोलन के कारण फंसे टैंकरों के कारण सप्लाई लड़खड़ाती देख लोग भी अपनी गाड़ियों के टैंक फुल कराते नजर आये। पंपों पर टैंकरों के नहीं पहुंचने का डर लोगों में देखा गया। वहीं पेट्रोल पंप संचालकों के अनुसार सप्लाई में जरूर दिक्कत आई है लेकिन हम टैंकरों को अन्य रूट से पंपों तक पहुंचने के लिए दिशानिर्देश दे रहे हैं। बुधवार का दिन तो जैसे-तैसे निकल गया लेकिन गुरुवार को स्थिति ऐसी ही रही तो परेशानी और बढ़ सकती है।
पारडी, बर्डी सहित अन्य स्थानों से बूटीबोरी मार्ग जाने वाली ‘आपली बसें’ नहीं चल पाने के कारण यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। कइयों को आंदोलन की जानकारी नहीं होने के कारण वे बस की प्रतीक्षा ही करते रह गये। हिंगना रूट की बसों पर चढ़कर जब छत्रपति चौक पहुंचे तो उन्हें पता चला कि इस मार्ग की बसें ही बंद हैं। वहीं बूटीबोरी में काम करने वाले कई कामगार भी इस चक्कर में काम पर नहीं पहुंच पाए।
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टैंकरों की तरह ही वर्धा मार्ग से आने वाले कुछ सब्जियों व फलों के टैम्पों भी फंसने की जानकारी मिली है।
वर्धा रोड पर खापरी से बूटीबोरी तक सैकड़ों पसंदीदा होटल, रेस्टोरेंट और ढाबे हैं। बड़ी तादाद में लोग यहां डिनर करने आते हैं। यह शहर के पुराने डाइनिंग डेस्टीनेशन में से एक है लेकिन पिछले 2 दिनों से यह क्षेत्र ‘किसान आंदोलन’ के चलते पुलिस छावनी में तब्दील हो चुका है। यातायात बंद है। यहां पिछले 2 दिनों से कारोबार ठप है। खापरी से बूटीबोरी टी पॉइंट तक के होटल, ढाबे और कई छोटे विक्रेता भी प्रभावित हुए।
लगभग एक किलोमीटर के दायरे में यातायात बंद था। यहां आने वाले शहर से ही आते हैं। आंदोलन के चलते सभी ने अपना रुख बदल दिया है। आंदोलन का अंदेशा न होने से पहले दिन अचानक धंधा बंद करना पड़ा। खास कर होटलों और ढाबों पर रात में ही ग्राहकी रहती है। जैसे ही आंदोलनकारियों ने यहां ठिया जमाया, पुलिस को यातायात रोकना पड़ा। जाम लगने से ग्राहकी भी नहीं रही।