पहले ही दिन दिव्यांगों के मोर्चों ने बढ़ाई पुलिस की टेंशन
Nagpur protest: विधानमंडल के शीत सत्र के पहले ही दिन दिव्यांगों के मोर्चे ने पुलिस का तनाव बढ़ा दिया। इस बार भी दिव्यांगों ने अपनी विविध मांगों को लेकर मोर्चा निकाला, जिसे टेकड़ी रोड पर रोका गया। पहले तो सामान्य नारेबाजी करके दिव्यांग शिष्टमंडल को लेकर जाने की तैयारी थी, लेकिन अचानक बैरिकेड हटाकर विधानभवन की ओर जाने का प्रयास किया, जिससे पुलिस का तनाव बढ़ गया। एक तरफ दिव्यांग बैरिकेड हटाने के लिए जद्दोजहद कर रहे थे और दूसरी तरफ पुलिस मोर्चा संभाले हुई थी। दिव्यांगों सहित चार संगठनों ने पहले ही दिन विधानभवन पर दस्तक दी।
विदर्भ विकलांग संघर्ष समिति के बैनर तले आशीष आमदरे, इरफान खान और गिरधर भजभुजे के नेतृत्व में मोर्चा निकाला गया। संजय गांधी निराधार योजना के अंतर्गत विकलांगों को मिलने वाला 2,500 रुपये का भत्ता बढ़ाकर 5,000 रुपये प्रति माह करने, 7-8 महीनों से बकाया रकम तत्काल खाते में जमा करने, मनपा द्वारा विकलांगों को व्यवसाय शुरू करने के लिए आर्थिक सहायता के रूप में 2.50 लाख रुपये देने, व्यवसाय के लिए 200 वर्ग फुट जगह उपलब्ध करवाने, और चार वर्ष पहले सरकार द्वारा दिव्यांगों के लिए स्वतंत्र मंत्रालय शुरू करने की घोषणा को लागू करने की मांग को लेकर शिष्टमंडल ने दिव्यांग कल्याण विभाग के सचिव तुकाराम मुंढे से मुलाकात कर निवेदन पत्र सौंपा। उन्होंने सभी मांगें सरकार तक पहुंचाने का आश्वासन दिया।
बिना अनुदानित 121 दिव्यांग शालाओं को 100% अनुदान देने सहित विभिन्न मांगों को लेकर डॉ. बाबासाहब आंबेडकर विकास मंच की ओर से मोर्चा निकाला गया। डॉ. जितेंद्र ओवाड़ के नेतृत्व में निकाले गए इस मोर्चे ने जमकर नारेबाजी की। गैरकानूनी काम करने वाले पुणे विभाग के समाज कल्याण प्रादेशिक उपायुक्त पर कार्रवाई, राज्य की सभी दिव्यांग शालाओं के कर्मचारियों और शिक्षकों को नौकरी की गारंटी देने, 13 सितंबर 2022 को शिक्षण व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के बकाया वेतन अधिसूचना रद्द करने, दिव्यांगों के लिए उपलब्ध 5% निधि खर्च न करने वाले जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने, और राज्य के दिव्यांगों को अंत्योदय योजना में सीधे शामिल करने की मांग को लेकर संबंधित विभाग को निवेदन पत्र सौंपा गया।
स्थानीय स्वराज्य संस्था और निजी अनुदानित संस्थाओं में शिक्षकों की भर्ती के लिए पवित्र पोर्टल बनाया गया। इससे कई लोगों को फायदा हुआ, लेकिन कुछ लोग पवित्र पोर्टल बंद करने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ संस्थाओं के संचालक शिक्षक भर्ती के लिए पैसे की मांग करते हैं। इसीलिए पवित्र पोर्टल के कार्य को अधिक पारदर्शी बनाने की मांग को लेकर युवा शैक्षणिक एवं सामाजिक न्याय संगठन की ओर से मोर्चा निकाला गया। संगठन के अध्यक्ष संदीप कांबले के नेतृत्व में निकले इस मोर्चे में बड़ी संख्या में शिक्षक शामिल हुए।
शिष्टमंडल ने पवित्र पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन शुरू कर शिक्षण नीति के तहत पूर्ण सेवा में समाविष्ट करने, समूह शाला योजना बंद करके विद्यार्थियों को मूलभूत शिक्षा उपलब्ध कराने, एक भर्ती-एक पद-एक बिंदु प्रक्रिया लागू करने, आश्रम शाला और अल्पसंख्यक शालाओं के शिक्षकों की भर्ती भी पोर्टल के माध्यम से करने, और कला, क्रीड़ा, कार्यानुभव एवं कंप्यूटर वर्ग के विशेष शिक्षकों की भर्ती करने की मांग को लेकर शिक्षण मंत्री दादा भूसे को निवेदन पत्र सौंपा। उन्होंने सभी मांगों पर सकारात्मक निर्णय लेने का आश्वासन दिया।
दिंडोरा प्रकल्पग्रस्त अपनी विभिन्न मांगों को लेकर रास्ते पर उतरे और मोर्चा निकाला। प्रकल्प से पीड़ित सभी गांव के लोग इस मोर्चे में शामिल हुए और सरकार से न्याय की मांग की। बड़ी ही शालीनता के साथ ढोल की ताल पर पीड़ितों ने लयबद्ध तरीके से नारेबाजी की और लोगों का मनोरंजन भी किया। दिंडोरा प्रकल्प का काम शुरू हो गया है। प्रकल्प पीड़ितों को वर्ष 2017 के कानून के अनुसार भूसंपादन का मुआवजा देने और तत्काल 240 करोड़ रुपये का पैकेज मंजूर करने की मांग को लेकर दिंडोरा प्रकल्पग्रस्त संघर्ष समिति की ओर से विलास भोंगाड़े और पुंडलिक तिजारे के नेतृत्व में मोर्चा निकाला गया।
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चंद्रपुर की वरोरा तहसील में वर्ष 2017 में प्रकल्प की शुरुआत हुई। उस समय प्रकल्प की कीमत 476.81 करोड़ रुपये थी, जो अब बढ़कर 549 करोड़ रुपये हो गई है। भूसंपादन के लिए अब तक केवल 58.71 करोड़ रुपये दिए गए हैं। 1 मार्च 2023 को बांध पर निकाले गए बैलबंडी मोर्चे के बाद 240 करोड़ रुपये का पैकेज घोषित किया गया था, लेकिन अब तक यह पैकेज लागू नहीं हुआ है। सभी प्रकल्पग्रस्तों के पुनर्वास की मांग को लेकर शिष्टमंडल ने संबंधित विभाग के सचिव से मिलकर निवेदन पत्र सौंपा।