नक्शा (सोर्स: सोशल मीडिया)
नागपुर: 2025 का मोबिलिटी प्लान बनाने की पहल शुरू हो गई है। एक बार फिर सारे अधिकारी मिलकर रिपोर्ट बनाने में जुट गए हैं। जो संकेत मिल रहे हैं उनसे यही लगता है कि एक बार फिर प्लानिंग अच्छी हो रही है। परंतु सवाल यही उठता है कि इसे जमीन पर कितना उतारा जाएगा?
बहरहाल जो भी हो सिटी की ट्रैफिक को सुचारु करने के लिए टीम ने 8 स्थानों पर अंडरब्रिज, ओवरब्रिज बनाने का सुझाव दिया है। इसमें लगभग 510 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। जिन स्थानों का चयन रेलवे ओवर ब्रिज (ROB), रेलवे ओवर ब्रिज (ROB) के लिए किया गया है वह वास्तव में जी का जंजाल बन चुके हैं। अगर इन स्थानों पर निर्माण कार्य होता है तो निश्चित रूप से जनता को बड़ी राहत मिलेगी।
शंका इसलिए है क्योंकि 2013 में भी अधिकारियों ने ऐसी ही माथापच्ची की थी और लगभग 284 पेज की रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट के अधिकांश हिस्सों पर काम नहीं हुआ है। तब अगर इसे गंभीरता से लिया जाता तो स्थिति में ट्रैफिक की स्थिति दयनीय नहीं होती।
अब तक हुई बैठकों में अधिकारियों ने ट्रैफिक समस्या को दूर करने के लिए कई सुझाव दिए हैं। 3 चरणों में रिपोर्ट को लागू करने की बात कही जा रही है। पहले चरण में 90 करोड़ की लागत से 2 फ्लाईओवर, शेष फ्लाईओवर, अंडरब्रिज फेज-2 और 3 में बनाने पर मंथन हुआ है।
चर्चा में जो बात सामने आई है उसके अनुसार रिजर्व बैंक चौक, अजनी चौक, कोराडी नाका, न्यू काटोल नाका, कामठी, मेडिकल चौक, मानेवाड़ा, तथागत चौक पर विचार-विमर्श किया गया है। जिन चौराहों का चयन किया गया है, वास्तव में इन चौराहों की हालत दिन-ब-दिन बदतर हो रही है।
ट्रैफिक जाम की समस्या से लोग परेशान हो चुके हैं। ऐसे चौराहों पर फ्लाईओवर, अंडरब्रिज बनने से जनता को बड़ी राहत मिलेगी लेकिन इसके लिए चर्चाओं को जमीन पर उतारना भी काफी महत्वपूर्ण होगा।
सीएमपी में सेकंड फेज में 100 करोड़ की लागत से 2 आरओबी, आरयूबी बनाने का प्रस्ताव है। आरओबी 4 लेन का होगा और 30 मीटर रेलवे स्पैन पर बनाया जाएगा।
अधिकारियों का कहना है कि सीएमपी को लेकर अब तक 2 दौर की बैठक हुई है। कई और बैठकें होंगी। 3-4 माह में फाइनल रिपोर्ट आएगी। इस बीच मनपा, एनआईटी, मेट्रो, पीडब्ल्यूडी, एनएचएआई जैसे स्टेकहोल्डर अपनी-अपनी राय रख रहे हैं। लांग टर्म नीति होने के कारण विचार-विमर्श काफी व्यापकता से साथ हो रही है।
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उम्मीद की जा रही है कि कुछ महीनों में इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा। फाइनल राउंड होने के बाद जनप्रतिनिधियों के साथ चर्चा होगी और उसके बाद मंजूरी के लिए राज्य सरकार के पास भेजा जाएगा।
वास्तव में देखा जाए तो सीएमपी विजन डाक्यूमेंट होता है जो किसी भी सिटी के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। अगले 15-20 वर्षों में वाहन, जनसंख्या, ट्रैफिक, सार्वजनिक परिवहन कैसा होगा और क्या-क्या सुविधाएं विकसित की जा सकती हैं, इस पर विस्तार से सोच-विचार किया जाता है और फिर रिपोर्ट बनाई जाती है।