
निकाय चुनाव (डिजाइन कंसेप्ट फोटो)
Maharashtra Local Body Elections: मनपा चुनाव को लेकर आरक्षण की लॉटरी निकाले जाने के बाद 28 पूर्व पार्षदों को तगड़ा झटका लगा है। हालांकि इन पार्षदों की ओर से भले ही उसी प्रभाग की अनारक्षित अर्थात सामान्य वर्ग पुरुष के लिए छूटी सीट पर चुनाव लड़ने का दावा किया जा रहा है किंतु इसका निर्णय पार्टी की ओर से किया जाएगा। यही कारण है कि ऐसे पार्षदों का भविष्य अधर में अटका है।
मनपा का राजनीतिक अखाड़ा अब तैयार हो चुका है। अब जल्द ही तमाम राजनीतिक दलों की ओर से प्रभागों में जीत के संभावित कार्यकर्ताओं की परख शुरू होगी। ऐसे में प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस के इच्छुकों में खींचतान होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो सर्वाधिक खिचड़ी भाजपा में होने जा रही है।
जिन 28 सीटों का आरक्षण बदला है उनमें कई दिग्गज पार्षदों को झटका है। वे अब दूसरी सीट पर दावेदारी कर रहे हैं किंतु भाजपा पहले से ही नये चेहरे देने की फिराक में है। वैसे भी चुनाव मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के चेहरे पर ही लड़ा जाना है।
बताया जाता है कि मनपा में 15 वर्षों से भाजपा की सत्ता रही है। इन 15 वर्षों में कई पार्षदों की तीसरी टर्म पूरी हो चुकी है। यहां तक कि कई भाजपा पार्षद 20-25 वर्षों से लगातार मनपा का चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे पार्षदों को लेकर अब भाजपा कार्यकर्ताओं में ‘और कब तक’ का सुर लगाया जा रहा है। आलम यह है कि अब कार्यकर्ता अपने नेताओं के सामने मुखर होकर इस तरह के चयन का विरोध कर रहे हैं।
कार्यकर्ताओं का मानना है कि प्रस्थापित पार्षद के प्रभाग में यदि आरक्षण भी निश्चित हो जाता है तो उन्हीं के घर से महिला को टिकट दिया जाता है। ऐसे में वर्षों से पार्टी के लिए काम कर रहे कार्यकर्ताओं में निराशा फैलती जा रही है। लंबे समय से कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे इच्छुकों ने आरक्षण के कारण सीट कटने के बाद ऐसे किसी भी पूर्व पार्षद को दूसरी जगह से टिकट नहीं देने के लिए मोर्चा खोल दिया है।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार सर्वाधिक परेशानी भाजपा के लिए है। भाजपा के पास 108 पार्षद थे। भाजपा ने पहले ही सर्वे के अनुसार मेरिट के आधार पर टिकट देने की अनौपचारिक घोषणा कर दी थी जिसके बाद से ही कई पार्षद और महिला पार्षदों के पतियों ने नेताओं के आसपास मंडराना शुरू कर दिया था।
माना जा रहा है कि अब आरक्षण के बाद समीकरण बदलने के बाद से ऐसे पार्षदों और कार्यकर्ताओं द्वारा नेताओं से करीबी के तेवर दिखाना शुरू हो गया है। ऐसे कई बड़े कार्यकर्ताओं को भले ही टिकट हासिल हो लेकिन दूसरे इच्छुकों को नाराज कर प्रभाग में चुनाव जीत पाना इनके लिए आसान नहीं है। बताया जाता है कि अभी से पार्टी में कई बार पार्षद रह चुके इन लोगों का काफी विरोध हो रहा है।
जानकारों के अनुसार 3 टर्म से मनपा में भाजपा की सत्ता है। यहां तक कि 4-4 बार चुनाव लड़ने के बाद कई वरिष्ठ पार्षदों को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी जाने के कारण अब मनपा में भाजपा का नया नेतृत्व मिलने की संभावनाएं जताई जा रही है। भाजपा की ओर से भविष्य के चुनावों को लेकर कई तरह के सर्वे किए गए।
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यहां तक कि स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं से भी उनकी राय ली गई जिसमें प्रत्येक कार्यकर्ताओं ने 2 बार चुनाव लड़ने के बाद तीसरी बार अब ऐसे कार्यकर्ता को मौका नहीं देने का सुर लगाया। उनके स्थान पर नये कार्यकर्ता को मौका देने की मांग हर स्तर पर हो रही है। यही कारण है कि 3 बार चुनाव लड़ चुके पार्षदों की टिकट खतरे में होने की संभावना है।






