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Nagpur Metro Second Phase: मेट्रो सेकंड फेज की तैयारी जोरों पर है। जहां एक ओर चारों दिशाओं में पिलर, गर्डर, स्टेशन बनाने की रफ्तार तेजी से जारी है। वहीं इलेक्ट्रिकल एवं अन्य कार्यों के लिए भी टेंडर जारी कर दिए गए हैं। इन सभी कार्यों के बीच मेट्रो ने 16 ट्रेन सेट के लिए भी टेंडर निकाल दिया है। इन ट्रेनों की कीमत लगभग 791 करोड़ रुपये आंकी जा रही है। मेट्रो प्रबंधन नहीं चाहता कि ट्रेनों की कमी के कारण सेकंड फेज को चालू होने में विलंब हो, इसलिए निर्माण कार्य के बीच ही टेंडर निकाल दिया गया है।
मेट्रो के अधिकारियों ने बताया कि निर्माण कार्य चलता रहेगा लेकिन मेट्रो कोच की जरूरत भी होगी। कोच हासिल करना भी एक लंबी प्रक्रिया है और इसे बनाने वाले भी कम है, इसलिए देश के अलग-अलग हिस्सों में मेट्रो का निर्माण हो रहा है और सभी को कोच की जरूरत है। ऐसे में अभी से टेंडर निकाला जाता है तो समय रहते कोचों (ट्रेन सेट) की आपूर्ति मिल पाएगी। टेंडर पहले भी जारी किया गया था जिसे अच्छा रिस्पांस मिला था लेकिन कुछ तकनीकी कठिनाई आने के कारण दोबारा टेंडर जारी किया गया है।
वर्तमान में यानी फर्स्ट फेज में 23 ट्रेन सेट (69 कोच) के जरिए मेट्रो का संचालन किया जा रहा है। इन सेटों के कारण मेट्रो प्रबंधन पीक ऑवर में प्रति 10 मिनट और ऑफ टाइम में 15 मिनट के अंतराल के बाद मेट्रो सेवा का संचालन कर रही है। सेकंड फेज में 16 नये सेट (39 कोच) और जुड़ जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान टाइमिंग, पैसेंजर और अन्य सभी तरह की गणनाओं के बाद निर्धारित कोच का ऑर्डर दिया गया है। ये भी वर्तमान सेवा जैसी सुविधाएं देने में सक्षम होंगे।
वर्तमान 23 सेट में कार्य दिवस यानी सोमावार से शुक्रवार तक औसत पैसेंजर की संख्या 1.25 लाख होती है। शनिवार और रविवार को इसमें कुछ कमी आती है क्योंकि स्कूल, कॉलेज और कार्यालय बंद होते हैं। अधिकारियों का कहना है कि मेट्रो के लिए यह मील का पत्थर बन गया है। लाख से अधिक यात्रियों का रोजाना मेट्रो में सफर करना सफलता की कहानी ही है। जैसे-जैसे लास्ट माइल कनेक्टिविटी बढ़ रही है वैसे-वैसे उन क्षेत्रों से यात्री भी बढ़ रहे हैं।
चूंकि सेकंड फेज हर मामले में पहले फेज से बड़ा है, इसलिए अधिकारियों को उम्मीद है कि इस चरण के शुरू होने के बाद मेट्रो में यात्रियों की संख्या 3 लाख के ऊपर पहुंच जाएगी। आरंभिक चरण में ही लोग इसे पंसद करेंगे क्योंकि आवागमन काफी सुगम हो जाएगा। जैसे-जैसे सेवा और सुविधाओं में विस्तार होगा, यात्रियों की संख्या इससे कहीं अधिक पहुंच जाएगी।
सेकंड फेज की लंबाई 43.8 किलोमीटर है, जबकि पहले चरण की लंबाई 40.02 किलोमीटर है। फर्स्ट फेज ने पूरे शहर को जोड़ने का काम किया है, जबकि सेकंड फेज जिले को जोड़ने का काम करेगा। कन्हान, बूटीबोरी, हिंगना और पारडी को पूरी तरह से जोड़ देगा। इन मार्गों में बूटीबोरी, हिंगना और कन्हान काफी महत्वपूर्ण मार्ग होगा। औद्योगिक कर्मचारियों को लाने-ले जाने में अहम भूमिका निभाएगा। बुटीबोरी औद्योगिक क्षेत्र का जिस तेजी से विस्तार की संकल्पना की जा रही है उसमें चार चांद लगाने का काम मेट्रो ही करेगी।
मेट्रो सेकंड फेज का लगभग 60 फीसदी कार्य पूर्ण हो चुका है। कार्य की गति भी अच्छी है और इसके समय पर पूरा होने की पूरी संभावना है। स्टेशनों का निर्माण कार्य भी तेजी से चल रहा है। यही कारण है कि मेट्रो प्रबंधन ने समय रहते ट्रेन सेट के लिए भी टेंडर जारी कर दिए हैं। चारों रीच का काम गर्डर लॉन्चिंग तक पहुंच गया है। इसी प्रकार कई स्टेशन रूप लेने लगे हैं। इलेक्ट्रिक कार्य का टेंडर भी जारी हो चुका है।
अधिकारियों ने बताया कि सबसे लंबा मार्ग यही है। इस मार्ग पर लगभग 17.1 किलोमीटर का निर्माण कार्य हो रहा है.1.7 किलीमीटर में मेट्रो जमीन पर दौड़ेगी। 50 फीसदी कार्य हो चुका है. 17.1 किलोमीटर में 10 स्टेशनों का निर्माण कार्य हो रहा है।
इस मार्ग को 2 भागों में बांटकर टेंडर जारी किया गया है. पहला ऑटोमोटिव से लेखानगर के बीच 6.7 किलोमीटर लंबा ट्रैक बन रहा है। यह काम लगभग 55 फीसदी (वायडक्ट) तक हो चुका है। इसमें कुल 6 स्टेशन होंगे। स्टेशनों का भी लगभग 40 फीसदी सिविल काम पूर्ण हो चुका है।
इस मार्ग की लंबाई लगभग 6 किलोमीटर है। इनमें 6 स्टेशन बनने जा रहे हैं. टेंडर देने का काम पूर्ण हो चुका है और लगभग 15 फीसदी काम हो चुका है।
प्रजापति से ट्रांसपोर्टनगर के बीच 5.6 किलोमीटर का काम शुरू हो चुका है। इस मार्ग पर 3 स्टेशन बनाये जा रहे हैं। पारडी, कापसी खुर्द और ट्रांसपोर्टनगर में स्टेशन बनेंगे। निर्माण कार्य गति पकड़ चुकी है और अब तक 50 फीसदी से अधिक का सिविल वर्क हो चुका है।
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लोकमान्य से हिंगना मार्ग भी महत्वपूर्ण है। कुल 6.7 किलोमीटर लंबाई है और 7 स्टेशनों का निर्माण किया जा रहा है। इस मार्ग पर भी 50 फीसदी से अधिक सिविल कार्य हो चुके हैं। इस मार्ग से विस्तार से कई स्कूल, कॉलेज और हॉस्पिटल को जोड़ने में मदद मिलेगी।