बेली वेल (सौजन्य-नवभारत)
Nagpur News: रेलवे की विरासत सिर्फ पटरियों और इंजनों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके आंगन में इतिहास के कई अनमोल मोती बिखरे हुए हैं। ऐसा ही एक ‘मोती’ नागपुर के मोतीबाग क्षेत्र में स्थित है; बेली वेल। लगभग 200 वर्ष पुराने इस ऐतिहासिक कुएं ने एक बार फिर नई उमंग के साथ अंगड़ाई ली है।
सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण डबली के लगातार प्रयासों और मंडल रेल प्रबंधक दीपक कुमार गुप्ता के मार्गदर्शन में इस धरोहर के पुनरुद्धार और वैज्ञानिक कायाकल्प का कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
यह विशालकाय कुआं उस दौर की याद दिलाता है जब नैरोगेज (सकरी लाइन) की पटरियों पर छुक-छुक करते भाप के इंजन दौड़ते थे। कुल 20.40 मीटर व्यास और 20 मीटर की गहराई वाला यह जलाशय सरीखा कुआं कभी उन इंजनों की प्यास बुझाता था। समय के साथ यह उपेक्षित हो गया था, लेकिन दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, नागपुर मंडल ने इसे अपनी गौरवशाली विरासत मानते हुए इसके संरक्षण का बीड़ा उठाया।
इस बार पुनरुद्धार केवल सफाई तक सीमित नहीं था, बल्कि इसे वैज्ञानिक आधार दिया गया। डीआरएम गुप्ता की अपील पर सीएसआईआर-नीरी की विशेषज्ञ टीम ने दो चरणों में जल की गुणवत्ता का सूक्ष्म अध्ययन किया।
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* परीक्षण के नतीजे: सफाई के बाद पानी पूरी तरह स्वच्छ, पारदर्शी और गंधहीन पाया गया।
* उपयोग की योजना: हालांकि वैज्ञानिकों ने इसे वर्तमान में सीधे पीने योग्य नहीं माना है, लेकिन बागवानी, परिसर की सफाई और अन्य सहायक कार्यों के लिए यह जल पूरी तरह सुरक्षित है।
डीआरएम गुप्ता ने इसे रेलवे की जीवंत विरासत करार दिया। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य ऐतिहासिक संरचनाओं को केवल सजावटी वस्तु न बनाकर उन्हें उपयोगी बनाना है। इस कुएं को अब एक ‘आदर्श धरोहर मॉडल’ के रूप में विकसित किया जाएगा, जो न केवल पानी बचाएगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों को रेलवे के समृद्ध इतिहास से भी परिचित कराएगा।