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‘मेस्मा’ लागू होने के बावजूद बिजली कर्मियों का काम बंद, 72 घंटे रहेगा काम ठप, निजीकरण का कड़ा विरोध

Nagpur News: महाराष्ट्र राज्य बिजली कर्मचारी, अभियंता अधिकारी, कृति समिति के बैनर तले शुरू की गई इस 72 घंटे की हड़ताल में पहले दिन जिले के 80 फीसदी कर्मी शामिल हुए और विरोध प्रदर्शन किया।

  • By प्रिया जैस
Updated On: Oct 10, 2025 | 07:43 AM

महावितरण हड़ताल (सौजन्य-नवभारत)

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Mahavitran: बिजली कंपनियों महावितरण, महानिर्मिति व महापारेषण के निजीकरण, टोरंट, अदाणी आदि कंपनियों को समानान्तर बिजली वितरण व्यवस्था सौंपने के विरोध में एवं अन्य विविध मांगों को लेकर राज्यभर के करीब 1 लाख कर्मचारी, अभियंता व अधिकारियों सहित 42,000 कॉन्ट्रैक्ट बेस पर कार्यरत कर्मचारियों ने बुधवार की रात 12 बजे से 3 दिनों की ‘काम बंद हड़ताल’ शुरू कर दी है।

महाराष्ट्र राज्य बिजली कर्मचारी, अभियंता अधिकारी, कृति समिति के बैनर तले शुरू की गई इस 72 घंटे की हड़ताल में पहले दिन जिले के 80 फीसदी कर्मी शामिल होने का दावा किया गया है। नागपुर विद्युत भवन काटोल रोड के समक्ष सैकड़ों की संख्या में कर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी की।

मेस्मा लगाने का बताया कारण

पदाधिकारी मोहन शर्मा ने कहा कि संयम व शांति से शुरू की गई हड़ताल में फूट डालने के उद्देश्य से सरकार ने ‘मेस्मा’ लगाया है। उन्होंने अपील की कि व्यवस्थापन की ओर से नौकरी से निकालने, सेवा खंडित करने व वेतन काटने की धमकियों से न डरते हुए हड़ताल में शामिल हों। पहले दिन हजारों कर्मी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि शेष 20 फीसदी भी इसमें शामिल होकर सहयोग करें।

कंपनी का अस्तित्व बचाना है

शर्मा ने कहा कि यह हड़ताल कोई आर्थिक मांग के लिए नहीं बल्कि बिजली उद्योग के निजीकरण के खिलाफ और सरकारी कंपनियों के अस्तित्व को बचाने के लिए है। 11 अक्टूबर की रात 12 बजे तक काम बंद हड़ताल जारी रहेगी। 7 संगठनों द्वारा जल विद्युत प्रकल्पों को बीओटी तत्व पर निजी कंपनियों को देने, महावितरण के अधिकार क्षेत्र के 329 उप केन्द्रों को ठेका पद्धति से देने, महापारेषण कंपनी के 200 करोड़ रुपयों के ऊपर के सभी प्रकल्पों को निजी कंपनियों को टीबीसीबी के माध्यम से देने, बिजली कंपनियों को शेयर मार्केट में निवेश और महावितरण की त्रुटिपूर्ण पुनर्रचना के प्रस्ताव के खिलाफ हड़ताल की जा रही है। साथ ही 1 लाख कर्मचारी, अभियंता व अधिकारियों को पेंशन योजना लागू करने की मांग भी रखी गई है।

और 2 संगठनों का समर्थन

हड़ताल को इंटक फेडरेशन और महाराष्ट्र राज्य विद्युत कर्मचारी सेना इन 2 संगठनों ने भी समर्थन घोषित किया। जिले के सभी कर्मचारी 11 अक्टूबर तक विद्युत भवन के समक्ष सभा, प्रदर्शन व धरना आंदोलन करेंगे। सभा को कृति समिति के पीवी नायडू, सुशांत श्रृंगारे, प्रकाश निकम, राजेश पोफली, राहुल लांजेवार, अविनाश आचार्य, विजय क्षीरसागर (इंटक) ने भी मार्गदर्शन किया। संचालन सुभाष मुले ने किया।

यह भी पढ़ें – Gold-Silver Rate: उफान पर चांदी, सोने को पछाड़ा, जानें क्या है कीमतों में तेजी की असली वजह

हड़ताल अवैध, तुरंत काम पर लौटें

इधर, महावितरण के मानव संसाधन संचालक राजेन्द्र पवार ने कहा है कि बिजली अनिवार्य सेवा है और नागरिकों को असुविधा न हो इसलिए महाराष्ट्र अत्यावश्यक सेवा परिरक्षक अधिनियम यानी ‘मेस्मा’ लागू गया किया है जिसके अनुसार यह हड़ताल गैर कानूनी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य में अतिवृष्टि व बाढ़ का संकट चल रहा है।

सभी सरकारी यंत्रणा युद्ध स्तर पर कार्यरत हैं। दिवाली का त्योहार भी कुछ दिनों में है। उन्होंने अपील की कि हालातों को देखते हुए सभी कर्मचारी अपना कर्तव्य निभाने के लिए बिना कोई देर किए काम पर लौटें। उन्होंने बाढ़ व त्योहारों के चलते नागरिकों का सहयोग करने की अपील हड़ताल कर रहे संगठनों से की।

Mahavitran implementation of mesma electricity workers out of work 72 hours

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Published On: Oct 10, 2025 | 07:43 AM

Topics:  

  • Maharashtra
  • Mahavitaran Company
  • Nagpur

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