प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Residential Committee NOC For Liquor Shop: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बुधवार को राज्य विधानमंडल के निचले सदन में एक महत्वपूर्ण घोषणा की। यह घोषणा भाजपा विधायक शंकर जगताप द्वारा उठाए गए एक प्रश्न के जवाब में की गई। जगताप पुणे जिले के चिंचवड विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
महाराष्ट्र में अब शराब की दुकानों के लिए नियम सख्त कर दिए गए हैं। उपमुख्यमंत्री और आबकारी विभाग के प्रमुख अजित पवार ने बुधवार को घोषणा की कि राज्य भर में शराब की दुकानों को अपने परिसर से संचालन शुरू करने से पहले पंजीकृत आवासीय समितियों से अनिवार्य सहमति (Consent) लेनी होगी।
अजित पवार ने निर्देश दिया कि भारत में निर्मित विदेशी शराब (IMFL) और देसी शराब बेचने वाली दुकानों को अपने परिसरों में व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से संचालन शुरू करने से पहले पंजीकृत आवासीय समितियों से अनिवार्य सहमति प्राप्त करनी होगी। उपमुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि अब दोनों श्रेणियों की शराब की दुकानों के लिए पंजीकृत आवासीय समितियों से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। इस नीति को पूरे महाराष्ट्र में समान रूप से लागू किया जाना चाहिए।
विधायक शंकर जगताप ने पुणे के चिंचवड-कालेवाड़ी क्षेत्र में संचालित शराब की दुकानों के लाइसेंस रद्द करने की मांग की थी। उन्होंने चर्चा के दौरान बताया कि सह्याद्री सोसाइटी में स्थित शराब की दुकान ‘विक्रांत वाइन’ ने नियमों का उल्लंघन करते हुए अपना संचालन शुरू कर दिया था।
जगताप ने आरोप लगाया कि जब दुकान को अनुमति दी गई थी, तब भवन निर्माण का काम अधूरा था, और लाइसेंस अधूरे दस्तावेजों के आधार पर जारी किया गया था। उन्होंने इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की।
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने विधायक जगताप की शिकायत पर प्रतिक्रिया देते हुए, शराब की दुकानों के लिए संबंधित आवासीय समिति की सहमति की अनिवार्य आवश्यकता को दोहराया। उन्होंने सदन को यह भी जानकारी दी कि जिन दो दुकानों के खिलाफ शिकायतें प्राप्त हुई थीं, उनके संबंध में कार्रवाई की गई है।
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डिप्टी सीएम पवार ने इस साल मार्च में आयोजित राज्य विधानमंडल के बजट सत्र के दौरान ही यह घोषणा की थी कि यदि शराब की दुकानें आवासीय समितियों के परिसर में स्थानांतरित होना चाहती हैं तो उनके लिए आवासीय समितियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करना अनिवार्य होगा। यह नियम उन आवासीय समितियों पर लागू होगा जिनमें व्यावसायिक प्रतिष्ठान हैं, जिनमें से कुछ में शराब की दुकानें भी हैं।