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जन विश्वास विधेयक 2025 पेश, ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के लिए कई अधिनियमों में बदलाव, बढ़ाए गए आर्थिक दंड

Maharashtra Jan Vishwas Bill 2025: महाराष्ट्र सरकार ने जन विश्वास (प्रावधान सुधार) विधेयक 2025 पेश किया, जिसमें 7 अधिनियमों के छोटे उल्लंघनों का विनगुन्हेगारीकरण और जुर्माना बढ़ाने का प्रस्ताव है।

  • By प्रिया जैस
Updated On: Dec 11, 2025 | 08:26 AM

सीएम देवेंद्र फडणवीस (सौजन्य-सोशल मीडिया)

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Maharashtra Assembly Winter Session: महाराष्ट्र राज्य में जीवन को आसान बनाने और व्यापार करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के उद्देश्य से, महाराष्ट्र सरकार ने ‘विश्वास-आधारित शासन’ (ट्रस्ट-बेस्ड गवर्नेस) को और मजबूत करने के लिए विधानसभा में ‘महाराष्ट्र जन विश्वास (प्रावधान सुधारणा) अधिनियम, 2025’ नामक एक विधेयक पेश किया है। इस विधेयक का उद्देश्य कई अधिनियमों में निहित विशिष्ट अपराधों का ‘विनगुन्हेगारीकरण’ (Decriminali-sation) करना और उनका सुसूत्रीकरण करना है।

प्रमुख उद्देश्य और कारण

सरकार का मानना है कि दंडात्मक और कठोर अनुपालन प्रणाली से विश्वास-आधारित और सुविधाकारी शासन व्यवस्था की ओर परिवर्तन करना विकसित महाराष्ट्र के लिए एक प्रमुख घटक है। अनावश्यक नियमन और छोटी-मोटी तकनीकी त्रुटियों के कारण होने वाले अपराधों से नागरिकों, व्यवसायों और राज्य को भारी नुकसान होता है जिससे न केवल उद्यमिता में बाधा आती है बल्कि न्याय व्यवस्था पर भी अनावश्यक बोझ पड़ता है और प्रशासनिक कार्यक्षमता कम होती है।

राज्य सरकार का नीतिगत प्राथमिकता यह रही है कि छोटे-मोटे उल्लंघनों के आपराधिक प्रावधानों को गैर-आपराधिक बनाया जाए। इस विधेयक के माध्यम से नागरिक स्वरूप की जुर्माना वाले छोटे-मोटे उल्लंघनों के लिए लगाए जाने वाले जुर्माने में बदलाव करना राज्य सरकार का इरादा है, ताकि अदालतों पर बोझ कम हो और प्रशासनिक कार्यक्षमता बढ़े। हालांकि सार्वजनिक व्यवस्था, स्वास्थ्य या जीवन/सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा करने वाले अपराधों को अभी भी बरकरार रखा गया है।

विधेयक 7 प्रमुख राज्य अधिनियमों में संशोधन का प्रस्ताव करता है

1. महाराष्ट्र औद्योगिक संबंध अधिनियम, 1947

  • अपराध से संबंधित शीर्षक को ‘शिक्षा’ (Pun-ishment) के बजाय ‘अपराध, दंड व शिक्षा’ या ‘दंड’ से बदला जा रहा है।
  • धारा 101 के तहत उल्लंघनों के लिए अधिकतम दंड 5,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये तक किया जाएगा।
  • गैर कानूनी तालाबंदी या कामबंदी शुरू करने के लिए दंड 2,500 रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये तक किया जाएगा।
  • कार्यवाही में गोपनीय जानकारी उजागर करने पर दंड 1,000 से बढ़ाकर 20,000 तक होगा।

2. महाराष्ट्र शुश्रूषा-गृह पंजीयन अधिनियम, 1949

  • बिना पंजीकरण के नर्सिंग होम चलाने पर दह 10,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये तक किया जाएगा।
  • अधिकारियों को निरीक्षण या दस्तावेज जांच से रोकने या गलत जानकारी देने पर 6 महीने तक कारावास या 50,000 रुपये तक का दंड या दोनों हो सकते हैं।

3. महाराष्ट्र मुद्रांक अधिनियम, 1958

  • शुल्क से बचने के इरादे से गैर-मुद्रांकित दस्तावेज निष्पादित करने पर कारावास की अवधि अपरिवर्तित 1 से 6 महीने) रखी गई है लेकिन आर्थिक दंड 5,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये तक किया जा सकता है।
  • मुद्रांक शुल्क की कमी के कारण सरकारी राजस्व को धोखा देने के उद्देश्य से झूठा बयान देने पर दंड 5,000 रुपये से बढ़ाकर, उसके मुद्रांक शुल्क की कमी के हिस्से के 5 गुना तक किया जाएगा।

4. व्यवसाय, व्यापार, आजीविका व नौकरियों पर कर अधिनियम, 1975

  • इस अधिनियम की धारा 20, 21 और 23 को हटा दिया जाएगा।

5. महाराष्ट्र दुकानें व आस्थापना (नौकरी के व सेवा शर्तों के विनियमन) अधिनियम, 2017

  • इस अधिनियम में ‘द्रव्यादंड’ (Monetary fine) शब्द को हटाकर जुर्माना (Penalty) शब्द का प्रयोग किया गया है।
  • उल्लंघन के लिए प्रारंभिक जुर्माना एक लाख रुपये तक हो सकती है, और यदि उल्लंघन जारी रहता है तो प्रत्येक दिन के लिए 2,000 रुपये तक की अतिरिक्त जुर्माना लग सकता है।
  • दूसरा या बाद का उल्लंघन पाए जाने पर शानित 2 लाख रुपये तक हो सकती है।
  • अधिनिर्णय (Adjudication) और अपील के लिए नए प्रावधान (धारा 31क और 31ख) जोड़े गए हैं।

यह भी पढ़ें – पिता के जिंदा रहते उत्तराधिकारी नहीं खोजते, नवभारत पहुंचे CM फडणवीस ने मराठी PM के सवाल पर क्या कहा?

राज्य सरकार को जांच करने और जुर्माना लगाने के लिए अधिनिर्णय अधिकारी नियुक्त करने का अधिकार दिया गया है। ये संशोधन केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘जन विश्वास (प्रावधानों मे संशोधन) अधिनियम, 2023’ की तर्ज पर है, जिसका उद्देश्य राज्य स्तर पर भी आपराधिक प्रावधानों को गैर-आपराधिक बनाने की नीति को लागू करना है। यह विधेयक सात अन्य अधिनियमों में भी आवश्यक संशोधन करता है, जिनमें महाराष्ट्र वैद्यकीय परिषद अधिनियम, 1965, महाराष्ट्र कामगार संगठनों को मान्यता देने के अधिनियम, 1971, आदि शामिल है।

Maharashtra jan vishwas provision amendment bill 2025 winter session

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Published On: Dec 11, 2025 | 08:26 AM

Topics:  

  • Devendra Fadnavis
  • Maharashtra
  • Maharashtra Legislative Assembly Session
  • Nagpur

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