ट्रामा सेंटर (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Postgraduate Trauma Course In GMC: वर्तमान में बढ़तीं दुर्घटनाओं सहित आकस्मिक बीमारियों के दौरान मस्तिष्क व अन्य चोट के मामले बढ़े हैं। इन मरीजों के लिए शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल में कार्यरत ट्रामा केयर यूनिट मददगार साबित हो रहा है। उपलब्ध साधन-सुविधाओं के आधार पर अब प्रशासन ट्रामा में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू करने की तैयारी कर रहा है।
इससे पहले ट्रामा इमारत के विस्तारीकरण को मंजूरी मिल गई है। दो मंजिल इमारत का विस्तार कर उसे तीन मंजिल तक बढ़ाया जा रहा है। ट्रामा केयर में स्नातकोत्तर सर्जरी बेस्ड ही होता है, लेकिन यह पाठ्यक्रम पूरी ट्रामा से संबंधित प्रणाली पर आधारित होता है। महाराष्ट्र में शासकीय स्तर पर अब तक किसी भी महाविद्यालय में यह पाठ्यक्रम उपलब्ध नहीं है।
मेडिकल में कार्यरत ट्रामा केयर यूनिट राज्य में अपने तरह का पहला लेवल-1 पृथक यूनिट है जहां सभी तरह की सुविधाएं भी पृथक हैं। यही वजह है कि अब प्रशासन स्वास्थ्य सेवा से आगे बढ़ते हुए इसे शैक्षणिक सेवा का भी केंद्र बनाने की तैयारी कर रहा है। वर्तमान में ट्रामा केयर यूनिट की इमारत दो मंजिला है। अब इस इमारत के विस्तारीकरण के लिए मंजूरी मिल गई है। इसके तहत एक और मंजिल का निर्माण किया जाएगा।
मौजूदा साधन-सुविधाओं के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि ट्रामा स्नातकोत्तर की 6 सीटों का दावा किया जा सकता है। हालांकि देश के कुछ एम्स में ट्रामा में स्नातकोत्तर की सुविधा है, लेकिन राज्य में शासकीय स्तर पर यह पाठ्यक्रम कहीं भी नहीं है। मौजूदा परिस्थितियों में ट्रामा केयर में 90 बेड है। इनमें 50 बेड आईसीयू है, जबकि भर्ती करने की क्षमता 110 तक है। वहीं बेसमेंट में आपात सुविधा भी तैयार की गई है।
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इसमें कुछ सुधार किया जा रहा है। ट्रामा में मेडिकल के रेफरल मरीज भर्ती किये जाते हैं लेकिन पहले की तुलना में मरीजों की संख्या बढ़ी है। कुल मरीजों में यह भी देखा जा रहा है कि करीब 20 फीसदी मरीज प्राइवेट अस्पतालों से आते हैं, जबकि कुल 50 फीसदी मरीज क्रिटिकल अवस्था में भर्ती किये जाते हैं। वर्तमान में ट्रामा सुविधाओं की मांग और बढ़ेगी। यही वजह है कि भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए प्रशासन द्वारा स्नातकोत्तर डिग्री शुरू करने की तैजारी की जा रही है।