किसानों ने दी चेतावनी (सौजन्य-नवभारत)
Farmers Agitation: काटोल और नरखेड़ तहसील के कपास व तुअर उत्पादक किसानों को इस खरीफ सीजन में भारी नुकसान झेलना पड़ा है। लगातार बारिश, लाल्या रोग का प्रकोप और जंगली जानवरों के हमलों से किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं। यदि शासन ने तत्काल आर्थिक सहायता नहीं दी तो तीव्र आंदोलन छेड़ा जाएगा, ऐसी चेतावनी क्रांतिकारी किसान संगठन के जिलाध्यक्ष सागर दूधाने ने दी है।
दूधाने ने नरखेड़ तहसीलदार के माध्यम से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को निवेदन भेजा है। उन्होंने कहा कि खरीफ 2025 में अनियमित बारिश के कारण कपास की पत्तियां झड़ गईं, जिससे करीब 50 प्रतिशत उत्पादन घटा। इसके बाद लाल्या रोग और जंगली सूअर व हिरणों के हमलों ने बाकी फसल भी नष्ट कर दी, जिससे किसान गहरे आर्थिक संकट में हैं।
संत्रा, मोसंबी और सोयाबीन उत्पादक किसानों को सरकार ने नुकसान भरपाई और बीज अनुदान देकर कुछ राहत दी है, लेकिन कपास और तुअर उत्पादक किसानों को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया है। संगठन ने मांग की है कि कपास व तुअर किसानों को भी संत्रा उत्पादकों की तर्ज पर मुआवजा दिया जाए और तोड़ाई हेतु प्रति हेक्टेयर 10,000 बोनस घोषित किया जाए।
दूधाने ने कहा कपास और तुअर यह क्षेत्र की मुख्य नगदी फसलें हैं। इस बार के नुकसान से किसानों का सब कुछ बर्बाद हो गया है। यदि सरकार ने तत्काल सहायता नहीं दी, तो क्रांतिकारी किसान संगठन के नेतृत्व में काटोल और नरखेड़ में उग्र आंदोलन छेड़ा जाएगा।
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उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि सरकार ने किसानों की व्यथा को गंभीरता से नहीं लिया, तो उनकी नाराजगी का परिणाम शासन को भुगतना पड़ेगा। इस अवसर पर संगठन के पदाधिकारी हेमंत राऊत पाटिल, जितेंद्र लोणे, पंकज निंबालकर, राहुल भादे, योगेश भादे, विजय कानडे, संजय काटोले, गुणेश्वर बन्दे, भूषण राऊत सहित बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे।