File Photo
नागपुर. नागपुर और भंडारा जिला में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कॉन्ट्रैक्ट पद्धति से एम्बुलेंस ड्राइवर की नियुक्ति की गई थी. उनके स्थान पर दूसरे ड्राइवर की नियुक्ति के विरोध में तथा न्यूनतम वेतन संबंधी मांग को लेकर नागपुर और भंडारा में कॉन्ट्रैक्ट पर कार्यरत लगभग 40 चालकों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. मामले में हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों का पालन नहीं किए जाने पर अब अवमानना की याचिका दायर की गई जिस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अतुल चांदूरकर और न्यायाधीश वृषाली जोशी ने जिला परिषद सीईओ सौम्या शर्मा और विभागीय आयुक्त को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए. याचिकाकर्ताओं की अधि. शारदा वांदिले ने पैरवी की. याचिकाकर्ताओं का मानना था कि उनके समकक्ष कर्मचारियों को जितना वेतन दिया जाता है उतना वेतन उन्हें नहीं मिल रहा है. समान काम के लिए समान भुगतान की नीति के अनुसार न्याय होना चाहिए.
रिट याचिका पर फैसले के दौरान अदालत ने कहा कि इसी तरह के एक मामले में कोर्ट आदेश कर चुका है जिसमें समान काम के लिए समान वेतन के आदेश दिए गए. यहां तक कि बकाया का आंकड़ा निश्चित कर भुगतान करने के आदेश दिए गए. इस फैसले के अलावा अन्य रिट याचिकाओं पर दिए फैसलों को सर्वोच्च न्यायालय के सामने चुनौती दी गई किंतु 23 मार्च 2022 को ही सुको ने विशेष अनुमति याचिकाएं ठुकरा दीं. यहां तक कि हाई कोर्ट द्वारा दिए आदेश पर सुको ने मुहर भी लगा दी. अन्य याचिकाएं भी सुको के समक्ष सुनवाई के लिए आई थीं जिन्हें 22 फरवरी 2023 को ठुकराया गया है.
रिट याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने फैसले में कहा कि समकक्ष नियमित कर्मचारी की तुलना के अनुसार पे स्केल से याचिकाकर्ताओं को न्यूनतम वेतन का भुगतान किया जाना चाहिए. याचिका दायर किए जाने की तारीख से इसका भुगतान करने के आदेश दिए जिसके अनुसार बकाया का आकलन कर उसका भी भुगतान करने के आदेश जिला परिषद को दिए. आदेश के 6 माह के भीतर इसका भुगतान करना था. अदालत ने आदेश में स्पष्ट किया कि यदि कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त इन एम्बुलेंस ड्राइवर की सेवाएं संतोषजनक हों तो उन्हें बदलने के स्थान पर सेवाएं जारी रखने के आदेश भी दिए. हाई कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं होने के कारण अवमानना का नोटिस जारी किया गया.