कांग्रेस का आपसी विवाद पहुंचा दिल्ली दरबार (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur Politics: जिले में कांग्रेस के केवल एक ही गुट को प्रोत्साहित करने का खामियाजा पार्टी बढ़ती गुटबाजी के रूप में अब भुगत रही है। विधानसभा चुनाव में जिले में पार्टी की करारी हार के बाद पूर्व मंत्री सुनील केदार गुट को ही आगामी स्थानीय निकाय चुनाव की जिम्मेदारी प्रदेशाध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने सौंपी है। केदार गुट के अश्विन बैस को जिलाध्यक्ष बनाया गया है।
उसके बाद से पार्टी के सीनियर पदाधिकारियों में भारी रोष देखा जा रहा है। यह गुस्सा अब दिल्ली दरबार पहुंच गया है। पूर्व प्रदेश महासचिव मुजीब पठान ने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर केदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। पठान के नेतृत्व में पहले बूटीबोरी में मोर्चा निकाला गया था और अब उन्होंने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि केदार जिले में पार्टी व संगठन को डुबोने का काम कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
जिले में पूर्व राज्यमंत्री राजेन्द्र मुलक के जिलाध्यक्ष रहते हुए जिले में कांग्रेस की एकता का दिखावा किया गया लेकिन उनके बाद नये जिलाध्यक्ष व प्रदेश कार्यकारिणी घोषित होने के बाद फिर बवाल मचा हुआ है। जिले में केदार पर मनमानी करने का आरोप लगाते हुए पठान ने कहा है कि मुझे भले ही कार्यकारिणी में स्थान नहीं दिया गया लेकिन उनके जैसे अनेक निष्ठावान कार्यकर्ताओं को साइड कर दिया गया है।
आरोप लगाया कि वे पार्टी हित न देखते हुए निकाय चुनावों में केवल अपने समर्थकों को उम्मीदवारी देते हैं। यही कारण है कि अब केदार के करीबी व पार्टी के निष्ठावान पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। प्रदेश कार्यकारिणी में उनके ही समर्थकों को शामिल किया गया जिससे पुराने व सक्रिय कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। समझा जा रहा है कि कांग्रेस के अन्य गुटों में रोष का परिणाम जिला परिषद, नगर परिषद के चुनाव में पड़ सकता है।
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तो वहीं नासिक में आगामी मनपा चुनावों के मद्देनजर, भाजपा द्वारा घोषित नई कार्यकारिणी को लेकर पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ गया है। विपक्ष के साथ-साथ पार्टी के अंदर से भी आरोप लग रहे हैं कि इस नई कार्यकारिणी में मौजूदा और पूर्व विधायकों, प्रभावशाली नेताओं और पूर्व नगरसेवकों के परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों को पद देकर ‘वंशवाद’ की परंपरा को जारी रखा गया है।
वहीं उन कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया गया है, जिन्होंने वास्तव में पार्टी के लिए काम किया है। इस आंतरिक कलह के कारण शहर अध्यक्ष सुनील केदार को नाराज कार्यकर्ताओं को शांत करने की कोशिश करनी पड़ रही है।