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अब वाट्सएप-टेलीग्राम और ईमेल से भी आएगा समन, हाई कोर्ट का फैसला, सिविल मामलों में होगा उपयोग

Nagpur News: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने सिविल मामलों में समन भेजने के लिए ईमेल और व्हाट्सएप जैसी इंस्टेंट मैसेजिंग सेवाओं को आधिकारिक मान्यता दी। नया नियम 2025 से लागू कर दिया गया।

  • By आकाश मसने
Updated On: Oct 20, 2025 | 08:12 AM

(कॉन्सेप्ट फोटो)

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Bombay High Court Nagpur Bench News: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने सिविल मुकदमों में न्यायिक समन भेजने की प्रक्रिया को आधुनिक बनाने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट सर्विस ऑफ प्रोसेसेज बाय इलेक्ट्रॉनिक मेल सर्विसेज (सिविल प्रोसीडिंग्स) (संशोधन) नियम, 2025 लागू कर दिया है। इन नियमों के माध्यम से अब इलेक्ट्रॉनिक मेल और इंस्टेंट मैसेजिंग सेवाओं के उपयोग को विधिवत रूप से मान्यता दे दी गई है।

मुख्य न्यायाधीश ने इन संशोधन नियमों को महाराष्ट्र राज्य में लागू करने की तिथि निर्धारित की है, जिसके अनुसार यह अध्यादेश महाराष्ट्र शासन राजपत्र (असाधारण भाग चार-क) में आधिकारिक रूप से प्रकाशित की गई है।

इन संशोधित नियमों के तहत हाई कोर्ट या कोर्ट के निर्देशानुसार अब ‘प्रोसेस’ को इलेक्ट्रॉनिक मेल सर्विस या इंस्टेंट मैसेजिंग सर्विस के माध्यम से भी भेजा जा सकता है।

फिलहाल वारंट नहीं किया शामिल

‘प्रोसेस’ के अंतर्गत समन, नोटिस, रिट और साइटेशन शामिल हैं लेकिन वारंट शामिल नहीं किए गए हैं। महत्वपूर्ण रूप से इंस्टेंट मैसेजिंग सर्विस में विशेष रूप से ‘संदेश’, ‘वाट्सएप’ या ‘टेलीग्राम’ जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग करने की अनुमति दी गई है।

‘इंस्टेंट मैसेजिंग सर्विस’ से तात्पर्य इंटरनेट या मोबाइल नेटवर्क पर 2 या 2 से अधिक उपयोगकर्ताओं के बीच वास्तविक समय में टेक्स्ट आधारित संचार को सक्षम करने वाली सेवा से है।

ये नियम बॉम्बे हाई कोर्ट और हाई कोर्ट के पर्यवेक्षी क्षेत्राधिकार के अधीन आने वाले सभी न्यायालयों में सभी सिविल कार्यवाही पर लागू होते हैं। इसमें वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम, 2015 के तहत सभी वाणिज्यिक विवाद भी शामिल हैं।

यह भी पढ़ें:- शाह का वादा पूरा! किसानों के लिए राहत पैकेज पर लगी मुहर, महाराष्ट्र और कर्नाटक को दिए 1950 करोड़

इलेक्ट्रॉनिक सेवा के लिए आवश्यक प्रक्रिया

यदि कोई पक्ष इलेक्ट्रॉनिक मेल सर्विस या इंस्टेंट मैसेजिंग सर्विस द्वारा प्रोसेस की तामील करना चाहता है तो उसे कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल करना होगा। इस हलफनामे में निम्नलिखित में से कोई भी तथ्य बताना आवश्यक होगा।

  • उसकी जानकारी के अनुसार एड्रेसी (प्राप्तकर्ता) का इलेक्ट्रॉनिक मेल पता या इंस्टेंट मैसेजिंग पता सही है।
  • मामला दायर होने से पहले हुए पत्राचार में एड्रेसी ने उस इलेक्ट्रॉनिक पते पर संचार स्वीकार किया है और जवाब दिया है।
  • एड्रेसी की कोई वेबसाइट या पोर्टल है जिस पर संपर्क इलेक्ट्रॉनिक मेल पता या इंस्टेंट मैसेजिंग पता प्रदर्शित है।
  • इलेक्ट्रॉनिक मेल पता या इंस्टेंट मैसेजिंग पता पक्षकार और एड्रेसी के बीच किसी समझौते या एड्रेसी द्वारा भेजे गए किसी लिखित दस्तावेज में प्रदान किया गया है।

…तो हलफनामे की नहीं जरूरत

नए नियमों के अनुसार यदि एड्रेसी कोई कंपनी, साझेदारी या अन्य कानूनी संस्था है जिसे कानून के तहत इलेक्ट्रॉनिक मेल पता रखना आवश्यक है तो उस स्थिति में हलफनामा दाखिल करने की आवश्यकता नहीं होगी। यदि कोर्ट इंस्टेंट मैसेजिंग सर्विस द्वारा प्रोसेस की तामील का निर्देश देती है तो यह तामील सिविल प्रक्रिया संहिता के अनुसार की गई सेवा के अतिरिक्त होगी।

तामील करने वाले पक्ष को सेवा के तरीके को समझाते हुए सहायक दस्तावेजों के साथ एक हलफनामा दाखिल करना होगा। कोर्ट इलेक्ट्रॉनिक मेल सर्विस के माध्यम से भेजे गए प्रोसेस के लिए डिलीवरी स्टेटस नोटिफिकेशन (DSN), डिलीवरी रिपोर्ट या रीड रसीद पर विचार करेगी और आवश्यक जांच करने के बाद यह घोषित कर सकती है कि प्रोसेस विधिवत रूप से तामील हो गया है।

Bombay high court nagpur email whatsapp summon rules

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Published On: Oct 20, 2025 | 08:12 AM

Topics:  

  • Bombay High Court
  • Maharashtra
  • Nagpur
  • Nagpur News

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