नागपुर न्यूज
Mahayuti Alliance: मनपा चुनाव में नागपुर सहित विदर्भ भर में महायुति में शामिल घटक दल राष्ट्रवादी अजित पवार गुट अधिक से अधिक सीटें हासिल करने की मंशा जता रहा है। हाल ही में हुए चिंतन शिविर में पार्टी प्रमुख अजित पवार ने भी अपने कार्यकर्ताओं को यह कहकर दिलासा दी है कि नागपुर में अगर महायुति साथ लड़ी तो 2-4 सीटों से कुछ नहीं होने वाला है।
उन्होंने विधानसभा चुनाव में जीत के अपने स्ट्राइक रेट का हवाला देते हुए यह भी कहा कि विदर्भ में एनसीपी को चाहने वाली जनता की संख्या लाखों में है। उसके बाद से राजनीतिक महकमे में चर्चा शुरू हो गई है कि पवार मनपा चुनाव में अधिक से अधिक सीटें हासिल करने का दबाव बना रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा नेताओं ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि यहां तो सीटों का बंटवारा पार्टियों की ताकत के अनुपात में ही होगा।
कुछ समय पहले भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने एनसीपी द्वारा मनपा चुनाव में 40 सीटों की मांग पर सलाह दी थी कि जितनी बड़ी चादर है उतना ही पैर पसारना चाहिए। वहीं सहयोगी दलों का मानना है कि अपनी पार्टी के विस्तार का सभी को अधिकार है।
बता दें कि मनपा में जहां भाजपा ने 108 सीटें जीतकर बीते चुनाव में तीसरी बार अपना कब्जा बरकरार रखा था वहीं संयुक्त राष्ट्रवादी पार्टी से केवल एक नगरसेवक चुनकर आया था। एनसीपी के टूटने के बाद अब वे शरद पवार पार्टी के साथ हैं और अजित पवार गुट का एक भी नगरसेवक नहीं है। भाजपा नेताओं का कहना है कि राष्ट्रवादी की शहर में पकड़ नहीं है। भाजपा ने इस बार मनपा में 120 नगरसेवकों का टारगेट रखा हुआ है।
महायुति के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की स्थिति में इस टारगेट को प्राप्त करने के लिए वह 135 से 140 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। ऐसे में सहयोगी दलों एनसीपी अजित पवार गुट व शिंदे सेना के हिस्से में सम्मानजनक सीटें भी नहीं आ पाएंगी। सहयोगी दलों को यही बात परेशान कर रही है।
एनसीपी के तत्कालीन शहर अध्यक्ष ने विस व लोस चुनावों में भाजपा के उम्मीदवारों की जीत के लिए किये गए सहयोग का हवाला देते हुए अपनी पार्टी के लिए कम से कम 40 सीटों की मांग रखी थी। तभी से दोनों पार्टी के स्थानीय नेताओं के बीच टीका-टिप्पणी शुरू हुई थी।
एनसीपी के आला नेताओं ने विधानसभा चुनाव में विदर्भ में मिलीं 7 सीटों में से 6 सीटें जीतने के स्ट्राइक रेट का तर्क देते हुए स्थानीय निकाय चुनावों में महायुति में अपनी हिस्सेदारी की मांग कर दबाव बनाएगी लेकिन भाजपा किसी तरह के दबाव में आती नजर नहीं आ रही है। वह मनपा, जिला परिषद, नगर परिषद, पंचायत समितियों में एनसीपी के पदाधिकारियों व सदस्य संख्या के गणित के आधार पर ही अडिग रहने वाली है।
कहा जा रहा है कि नागपुर नहीं तो एनसीपी विदर्भ की उन विधानसभा सीटों में अपने अधिक से अधिक उम्मीदवारों को टिकट दिलाने का प्रयास कर सकती है जहां उसके विधायक चुनकर आए हैं और पालक मंत्री भी हैं। नागपुर में उसके पास कोई वजनदारी नहीं है। भाजपा का कहना है कि विधानसभा चुनावों का समीकरण स्थानीय निकाय चुनावों में काम नहीं करता। यहां स्थानीय फैक्टर काम करते हैं जिसमें एनसीपी सहित शिंदे सेना भी कमजोर हैं।
यह भी पढ़ें – ऐन त्योहार के वक्त ट्रेनें रद्द, बिहार में आंदोलन बना कारण, देशभर की रेल सेवाएं हुई प्रभावित
हालांकि महायुति में शामिल तीनों दलों के नेता आगामी सभी चुनाव गठबंधन कर ही लड़ने की बात कर चुके हैं लेकिन यह भी कहा है कि यह चुनाव कार्यकर्ताओं का चुनाव है और इसका निर्णय स्थानीय नेता ही करेंगे। इससे अधिक आसार यह बन रहे हैं कि तीनों दल स्वतंत्र रूप से अपने उम्मीदवार मैदान में उतारेंगे। यह मित्रतापूर्ण लड़ाई होगी और चुनाव परिणाम के बाद महायुति बनी रहेगी। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा।