भाजपा (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Nagpur Manpa Election News: महानगर पालिका चुनावों में भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि मुंबई में वह अपने सहयोगी दलों के साथ महायुति कर मैदान में उतरेगी। वह मुंबई में किसी भी सूरत में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती लेकिन उपराजधानी नागपुर और पुणे में वह इस चुनाव में ‘गुजरात पैटर्न’ अपनाने की तैयारी में है।
पार्टी के एक बहुत ही सीनियर लीडर की मानें तो गुजरात विधानसभा चुनाव में भले ही पार्टी ने काफी संख्या में सिटिंग एमएलए को बदलकर राजनीतिक महकमे को चौंकाया था लेकिन निकाय चुनाव में उम्मीदवार चयन पैटर्न विधानसभा चुनावों की तरह नहीं था लेकिन नागपुर व पुणे में मनपा चुनाव में गुजरात का विधानसभा चुनाव पैटर्न का प्रयोग करने की तैयारी की जा रही है।
गुजरात विस चुनाव की भाजपा की रणनीति एंटी इनकंबेंसी, नया चेहरा और विजयी योग्यता को ध्यान में रखकर बनाई गई थी। खासकर नागपुर मनपा चुनाव में वही रणनीति अपनाने की तैयारी है क्योंकि यहां बीजेपी लगातार डेढ़ दशकों से सत्ता में रही है। मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी कांग्रेस इसी एंटी इनकंबेंसी का लाभ उठाने का भरपूर प्रयास करेगी। उसे मात देने के लिए पार्टी का प्रभाग निहाय सर्वे किया गया है।
नये चेहरा और जीतने की योग्यता वाले उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा। गुजरात निकाय चुनावों में तो कई सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार निर्विरोध ही विजय हो गए थे लेकिन नागपुर, पुणे में वैसा किसी तरह का लाभ बीजेपी को नहीं मिलने वाला है। हां, उसे दूसरी पार्टी से आयातित किये गए कार्यकर्ताओं को भी उम्मीदवारी देनी पड़ सकती है।
बीते साढ़े तीन वर्षों से मनपा में प्रशासक राज रहा है। इसलिए पूर्व नगरसेवकों की जनता से दूरी निश्चित तौर पर बढ़ी है। नगरसेवकों के अभाव में जनता का सीधा संपर्क विधायकों से रहा। भाजपा इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, मूलभूत सेवा-सुविधाओं में की गई बढ़ोतरी को लेकर प्रचार में उतरेगी। प्रचार की धुरी भी क्षेत्र के विधायकों के साथ ही मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्रियों के हाथों में होगी।
संगठनात्मक मजबूती के लिए पहले ही काम कर लिया गया है। मुख्य प्रतिद्वंदी पार्टी को दबाव में लाने की रणनीति भी होगी। ऐसा ही गुजरात में विस व निकाय चुनावों के दौरान किया गया था। इस बार नागपुर की 151 सीटों में से 120 प्लस का टारगेट पार्टी ने रखा है। इसी के चलते उम्मीदवारों का बड़ी संख्या में बदलाव होना तय माना जा रहा है।
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अनेक पूर्व नगरसेवकों को घर बिठाया जाएगा और नये चेहरों को अवसर दिया जाएगा जो प्रभाग में अपेक्षाकृत मजबूत हों। पार्टी चाहती है कि संगठन में उसका ‘नया इरादा’ दिखे और जेनरेशन शिफ्ट आए। पार्टी में ताजगी देखने को मिले। गुजरात में इस पैटर्न से भाजपा ने 68 में से 60 नगर पालिकाओं में कब्जा किया था।
फिलहाल शहर भाजपा द्वारा इच्छुक उम्मीदवारों के इंटरव्यू लिये जा रहे हैं। वरिष्ठ नेता की मानें तो सूची तो बनाई ही जा रही है, साथ ही मजबूत दावेदारों के संदर्भ में भीतरी सर्वे भी किया जा रहा है। सर्वे जिस उम्मीदवार के पक्ष में फिट बैठेगा, उसे टिकट दी जाएगी।
हालांकि शहर भाजपा अपनी सारी रिपोर्ट प्रदेश कमेटी को भेज देगी और उम्मीदवारों की सूची वहीं से जारी होगी। उन्होंने यह भी माना कि इस बार युवा कार्यकर्ताओं को अधिक मौका मिलने की संभावना है।