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स्मार्ट मीटर विवाद: गुमराह करने वाले शपथपत्र पर याचिकाकर्ता का रिज्वाइंडर

Nagpur News: स्मार्ट मीटर मामले में याचिकाकर्ता ने दावा किया कि बिजली उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाला शपथपत्र पेश किया गया है। इस पर कोर्ट में रिज्वाइंडर दायर किया गया।

  • By सोनाली चावरे
Updated On: Aug 27, 2025 | 07:31 AM

बिजली बिल (pic credit; socila media)

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Maharashtra News: महाराष्ट्र में जबरन लगाए जा रहे स्मार्ट प्री-पेड इलेक्ट्रिक मीटर पर पाबंदी लगाने तथा इस कार्यप्रणाली को अवैध करार देने का अनुरोध करते हुए विदर्भ विज ग्राहक संगठन ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से रिज्वाइंडर दायर किया गया। जिसमें सरकार और महावितरण द्वारा दाखिल शपथपत्र उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाला होने की कड़ी आपत्ति दर्ज की गई है।

रिज्वाइंडर के अनुसार शपथपत्र में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि जब मौजूदा मीटर सही स्थिति में कार्य कर रहे हैं तो उपभोक्ताओं पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर थोपने की क्या आवश्यकता है। याचिकाकर्ता की ओर से अधि. प्रतीक पुरी और अधि. अक्षय विष्णु ने पैरवी की।

उपभोक्ता की सहमति दरकिनार

रिज्वाइंडर में कहा गया है कि बिजली अधिनियम की धारा 55 के अनुसार उपभोक्ता की इच्छा के बिना कोई भी नया मीटर थोपना संभव नहीं है। यानी उपभोक्ता चाहे तो स्मार्ट प्रीपेड मीटर चुन सकता है। लेकिन इसे अनिवार्य करना कानून के खिलाफ है।

इसे भी पढ़ें- बिजली उपभोक्ताओं पर बढ़ा बिल का बोझ, बिजली सस्ती होने की बजाय हो गई महंगी

संगठन का कहना है कि सरकार ने किसी विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पेश नहीं की जिससे यह साबित हो कि मौजूदा मीटर दोषपूर्ण हैं या उनकी जगह स्मार्ट मीटर लगाना आवश्यक है। याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट को यह भी बताया कि केंद्र सरकार ने अपने जवाब में सभी उपभोक्ताओं के लिए स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य करने का संकेत दिया है। लेकिन दूसरी ओर, महाराष्ट्र सरकार और महावितरण ने अपने हलफनामे में साफ कहा है कि राज्य में प्रीपेड सुविधा अभी लागू नहीं की जा रही है। यह केवल उपभोक्ता की इच्छा पर भविष्य में लागू हो सकती है। इस तरह केंद्र और राज्य के दावों में सीधा विरोधाभास दिखाई देता है।

बिजली कटौती पर भी उठा सवाल

संगठन ने अपने प्रत्युत्तर में यह भी तर्क दिया कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर बैलेंस खत्म होते ही स्वतः बिजली आपूर्ति बंद कर देंगे, जबकि बिजली अधिनियम की धारा 56 के अनुसार उपभोक्ता को बकाया होने पर भी पहले नोटिस देना अनिवार्य है. ऐसे में बिना नोटिस के स्वचालित कटौती कानून का उल्लंघन होगी।

महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग (MERC) के आपूर्ति विनियमन, 2021 का हवाला देते हुए संगठन ने कहा कि प्रीपेड मीटर लगाने वाले उपभोक्ताओं को सुरक्षा जमा (SD) की आवश्यकता नहीं है। लेकिन यह केवल उन उपभोक्ताओं पर लागू होता है। जिन्होंने स्वेच्छा से प्रीपेड मीटर स्वीकार किया है, जबकि महावितरण सभी उपभोक्ताओं पर यह व्यवस्था थोपने की कोशिश कर रही है।

Affidavit misleading electricity consumers petitioner filed rejoinder in smart meter case

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Published On: Aug 27, 2025 | 07:31 AM

Topics:  

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