नागपुर न्यूज
Parshivni News: पारशिवनी में आंदोलनकर्ताओं द्वारा सतत तीन दिन तक किए गए ठिया आंदोलन के बाद 8 युवकों की तत्काल प्रभाव से ठेका श्रमिक के रूप में नियुक्त करने के साथ अन्य 8 को एक माह के भीतर ठेका श्रमिक के रूप में नियुक्त करने की सहमति के बाद ठिया आंदोलन समाप्त कर दिया गया। घाटरोहना यसंभा ग्रापं पंचायत के तहत 1200 हेक्टेयर खेती योग्य भूमि में से 800 हेक्टेयर भूमि वेकोलि एवं महाराष्ट्र राज्य बिजली निर्मिति कंपनी द्वारा क्रय की गई हैं।
इसमें महाराष्ट्र राज्य बिजली निर्मिति कंपनी द्वारा कोराड़ी बिजली निर्मिति केंद्र तक कोयला पहुंचाने के लिए कन्वेयर बेल्ट लगाया गया। इस प्रकल्प का निर्माण करते समय महाराष्ट्र राज्य बिजली निर्मिति कंपनी के अधिकारियों द्वारा प्रकल्प में 80 प्रश स्थानीय युवकों को रोजगार देने का वादा किया था। इस आशय को लेकर 9 जून 2025 को स्थानीय नागरिकों द्वारा विविध मांगों का एक निवेदन महाराष्ट्र राज्य बिजली निर्मिति कंपनी को दिया गया था, जिसमें कंपनी के अधिकारियों द्वारा 80 प्रश स्थानीय युवकों को रोजगार देने के संदर्भ में सहमति प्रदान की थी।
बिजली निर्मिति कंपनी द्वारा कन्वेयर बेल्ट द्वारा कोयला परिवहन शुरू तो किया गया, परंतु कंपनी द्वारा 9 जून 2025 को स्थानीय नागरिकों के साथ हुए समझौते को नजर अंदाज कर दिया गया। इसी समस्या पर स्थानीय घाटरोहणा के नागरिकों द्वारा सरपंच किशोर बेहुने के नेतृत्व में 24 सिंतबर को सुबह 10 बजे से ठिया आंदोलन शुरू कर दिया गया। इस आंदोलन की उग्रता को देखते हुए तगड़ी पुलिस सुरक्षा रखी गई।
इसी के साथ बिजली निर्मिति कंपनी को विविध मांगों का एक निवेदन भी सौंपा गया। महानिर्मिति की ओर से किसी भी प्रकार का प्रतिउत्तर नहीं आने पर आंदोलन तीसरे दिन में पहुंच गया। इस आंदोलन को लेकर पुलिस उपविभागीय अधिकारी संतोष गायकवाड़ के नेतृत्व में दंगा नियत्रंक पथक आंदोलन स्थल पर पहुंचा।
आंदोलनकर्ता एवं पुलिस उपविभागीय अधिकारी के बीच कई बार शाब्दिक विवाद हुआ, जिसके कारण घाटरोहना गांव के बच्चे, युवा एवं महिला भी आंदोलन स्थल पर आ पहुंचे। आंदोलन को उग्र होते देख महानिर्मिति की ओर से एक शिष्टमंडल बुलाया गया।
खापरखेड़ा स्थित महानिर्मिति के कार्यालय में मुख्य अभियंता गिरीश कुमलवार की अध्यक्षता में तहसीलदार सुरेश वाघचवरे, पुलिस निरीक्षक वैजयंती मंडवधरे, सरपंच किशोर बेहुने, उपसरपंच अशोक पाटिल, टेकाड़ी ग्रापं सदस्य सतीश घारड, पूर्व उपसरपंच तेजराम सरीले आदि की उपस्थिति में हुई चर्चा के बाद 8 युवकों को तत्काल प्रभाव से ठेका श्रमिक के रूप में कार्यरत करने का आदेश दे दिया गया।
जबकि बचे हुए 8 युवकों को 1 माह के भीतर ठेका श्रमिक के रूप में कार्यरत करने का लिखित आदेश दिया गया हैं। बिना किसी राजनीतिक हस्ताक्षेप के खड़ा हुआ यह आंदोलन अत: तीन दिनों बाद समाप्त हो गया। आंदोलन के सफलतार्थ ग्रापं सरपंच किशोर बेहुने, अशोक पाटिल, तेजराम सरीले, दिगांबर ठाकरे, राजकुमार बावने, शशिकला सोनवने, सुनीता तांडेकर, रीना पाटिल, सूरज पाटिल, हुकुम सूर्यवंशी, नत्थु शिंदेकर, श्याम वाटकर, मोतीलाल बेहने, अमित छानीकर, जंगलु शेंडे, संजय छानीकर, सिद्धार्थ पाटिल सहित घाटरोहना गांव के बच्चे, महिला एवं युवा वर्ग बड़ी संख्या में शामिल हुए।
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पुलिस उपविभागीय अधिकारी संतोष गायकवाड़ एवं आंदोलनकर्ताओं के बीच बढ़ रहे शाब्दिक विवाद के बीच आंदोलन स्थल पर पूर्व जिप अध्यक्ष रश्मि बर्वे भी पहुंच गई। पुलिस कर्मियों की आंदोलनकर्ताओं को मानसिक दबाव में लेते देख बर्वे ने पुलिस अधिकारियों को खरी खोटी सुनाते हुए कहा कि आंदोलन करना नागरिकों का अधिकार है तथा आंदोलनकर्ताओं के ऊपर आपकी तानाशाही नहीं चलेगी। इस आंदोलन में गोंडेगांव सरपंच मनीषा दलाल ने भी अपना समर्थन जाहिर किया।