एक दिवसीय 'सत्यशोधक सामाजिक जागरूकता शिविर' (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Wadi: लेखक इंजिनियर अरविंद माली ने कहा कि, पांच हजार साल पुरानी असमानता की व्यवस्था आज भी हमारे समाज पर हावी है। अगर हमें इंसान बनकर जीना है, तो ज्ञान, जागरूकता और आत्मसम्मान जरूरी है। अंधविश्वास और गुलामी से मुक्ति का मार्ग सत्यशोधक विचारधारा है। सत्यशोधक सामाजिक जागरूकता शिविर का हाल ही में बुद्धविहार समन्वय समिति, नागपुर तहसील ग्रामीण और आदर्शनगर बौद्ध विहार, वाड़ी के संयुक्त तत्वावधान में और मानव सेवा प्रतिष्ठान, वाड़ी के सहयोग से आयोजित किया गया था।
आदर्शनगर स्थित शकुंतलाबाई देशमुख प्राथमिक विद्यालय में आयोजित इस शिविर को वाड़ी के लोगों से उत्साहजनक प्रतिसाद मिला। सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक चले शिविर में प्रबोधनकार माली ने लगातार छह व्याख्यानों के माध्यम से पांच हजार साल के इतिहास को जीवंत कर दिया। सिंधु घाटी सभ्यता, चार्वाक दर्शन, भगवान बुद्ध, सम्राट अशोक, महात्मा फुले, राजर्षि शाहू महाराज, डॉ. बाबासाहब आंबेडकर और कांशीराम के क्रांतिकारी सामाजिक परिवर्तन के कार्यों का विश्लेषण प्रस्तुत किया।
माली ने शिविरार्थियों को सत्य-शोधक विचारों का अर्थ समझाकर कहा कि आज की समस्याओं का समाधान उस इतिहास को समझे बिना नहीं होगा कि कैसे ज्ञान, शक्ति और धन को चंद लोगों के हाथों में रखा गया और कैसे वे आम लोगों को गुलाम बनाने में सफल रहे। सत्य-शोधक विचारों की आज की आवश्यकता प्रस्तुत कर आज भी आम जनता ट अंधविश्वास, जातिवाद, असमानता और आर्थिक गुलामी से प्रताड़ित हो रही है। ऐसे समय में महात्मा फुले की सत्य-शोधक सामाजिक व्यवस्था आधुनिक युग के लिए एक मार्गदर्शक पथ है।
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इस शिविर में 200 से अधिक शिविरार्थी सहभागी हुए थे। समाज के विभिन्न वर्गों के कार्यकर्ताओं ने व्याख्यान में विचारों पर चर्चा की। कार्यक्रम की शुरुआत महापुरुषों के छायाचित्र को नमन के साथ हुई। इस अवसर पर सिद्धार्थ लोखंडे, अनिरुद्ध चिमनकर, नितिन सुखदेवे आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। अंत में आयोजक द्वारा प्रबोधनकार माली को शॉल और पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का परिचय सिद्धार्थ लोखंडे, संचालन भाऊदास लांजेवार और धन्यवाद अनिरुद्ध चिमनकर ने किया।