प्रतीकात्मक फोटो (सोर्स -सोशल मीडिया)
मुंबई: लीलावती अस्पताल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जिसमें मौजूदा ट्रस्टियों ने दावा किया है कि उनके कार्यालय के फर्श के नीचे आठ रहस्यमयी कलश मिले हैं, जिनमें मानव हड्डियां, खोपड़ियां, बाल, चावल और तांत्रिक क्रियाओं से जुड़ी अन्य वस्तुएं पाई गई हैं। ट्रस्टियों का आरोप है कि ये काला जादू करने के लिए इस्तेमाल किए गए थे। यह खुलासा तब हुआ जब अस्पताल में 1250 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले की जांच की जा रही थी। पूर्व ट्रस्टियों पर धन के दुरुपयोग, टैक्स चोरी और वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगे हैं। हालांकि, पूर्व ट्रस्टियों ने इन दावों को खारिज कर दिया है और इसे महज सनसनी फैलाने की कोशिश बताया है।
मौजूदा ट्रस्टियों को यह जानकारी एक पूर्व कर्मचारी से मिली थी, जिसके बाद उन्होंने खुदाई करवाई। इस दौरान पूरी प्रक्रिया का वीडियो रिकॉर्ड भी बनाया गया। ट्रस्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) से इस मामले की जांच की मांग की है, क्योंकि पूर्व ट्रस्टी कथित तौर पर **यूएई और बेल्जियम फरार हो चुके हैं।
2024 में लीलावती अस्पताल के संस्थापक किशोर मेहता के निधन के बाद, उनके बेटे प्रशांत मेहता स्थायी ट्रस्टी बने और उन्होंने फोरेंसिक ऑडिट कराया। इस ऑडिट में फर्जी ऑर्डर और रिकॉर्ड के जरिए बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ी का खुलासा हुआ। यह भी सामने आया कि 2002 में किशोर मेहता के विदेश जाने के बाद, उनके भाई विजय मेहता ने ट्रस्ट का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया और जाली दस्तावेजों के जरिए अपने बेटों और भतीजों को ट्रस्टी बना दिया।
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महाराष्ट्र के काला जादू विरोधी अधिनियम के तहत इस मामले में शिकायत दर्ज की गई है। प्रशांत मेहता और उनकी मां चारु मेहता ने आरोप लगाया है कि पूर्व ट्रस्टियों ने उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए तांत्रिक अनुष्ठान किए। हालांकि, विजय मेहता के बेटे चेतन मेहता ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है। अब यह देखना होगा कि क्या यह वित्तीय घोटाले का पर्दाफाश करने की कोशिश है या अंधविश्वास से जुड़ा मामला?