बांस की खेती (सौ. सोशल मीडिया )
Mumbai News In Hindi: यदि हमें पर्यावरण संतुलन बनाए रखना है और पृथ्वी के क्षरण को रोकना है तो पौधारोपण के साथ-साथ बांस की खेती भी एक प्रमुख विकल्प है।
बांस की खेती किसानों के लिए लाभदायक होने के साथ-साथ सतत पर्यावरणीय विकास और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का सूजन भी करेगी।राज्य सरकार हरित महाराष्ट्र के सपने को साकार करने के लिए 21 लाख हेक्टेयर भूमि पर बांस लगाने के लिए प्रतिबद्ध है।
विश्व बांस दिवस के अवसर पर यशवंतराव चव्हाण केंद्र में ‘मित्र’ और फीनिक्स फाउंडेशन लोदगा, लातूर द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ‘जनता, पृथ्वी और समृद्धि के लिए बांस’ सम्मेलन का उद्घाटन रोजगार – गारंटी एवं बागवानी मंत्री भरत गोगावले ने किया।
इस अवसर पर कृषि राज्य मंत्री एड आशीष जायसवाल, सहकारिता राज्य मंत्री डॉ। पंकज भोयर, गुजरात के पूर्व मंत्री – भूपेंद्र सिंह चुडासमा, राज्य कृषि मूल्य आयोग के अध्यक्ष पाशा पटेल, मित्रा के सीईओ प्रवीण परदेशी, मालविका हबोंफार्मा के निदेशक दिनेश शर्मा, गोदरेज इंडस्ट्रीज समूह के समूह अध्यक्ष राकेश स्वामी सहित पर्यावरण और बांस उद्योग के क्षेत्र के प्रतिष्ठित विशेषज्ञ और किसान उपस्थित थे।
मंत्री गोगावले ने कहा कि बांस एक नकदी फसल है और तेजी से बढ़ने वाली वनस्पति प्रजातियों में शामिल है। 3-4 साल तक देखभाल करने पर चौथे-पांचवें साल से आमदनी शुरू हो जाती है। इससे किसानों की प्रगति, ग्रामीण विकास को बढ़ावा और हरित विकास को बल मिलेगा, निर्माण क्षेत्र, फर्नीचर, कपड़ा उद्योग, ऊर्जा, पैकेजिंग और अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में बांस का व्यापक उपयोग होता है। सरकार बांस की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 7 लाख रुपए तक की सब्सिडी दे रही है और किसानों को इसे चुकाना नहीं पड़ता है। महाराष्ट्र बागवानी में अग्रणी है और बांस की खेती, उत्पादन और बास आधारित उद्योगों में राज्य को अग्रणी बनाए रखने के लिए प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए।
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राज्य सरकार द्वारा बांस की फसलों की उत्पादकता को दोगुना करने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। यह बताते हुए ‘मित्र’ के सीईओ प्रवीण परदेशी ने कहा कि नीति आयोग के माध्यम से बास उद्योग के लिए 4,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री पर्यावरण सतत विकास टास्क फोर्स के कार्यकारी अध्यक्ष पाशा पटेल ने कहा कि बांस 21वीं सदी का एक हरित संसाधन है।