रवींद्र चव्हाण और सुनील तटकरे (सौजन्य- सोशल मीडिया)
Maharashtra Nikay Chunav : दिवाली के बाद मुंबई मनपा सहित राज्य की सभी स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जाने की तैयारी चुनाव आयोग कर रहा है। सभी चुनावी दल अपने स्तर पर इसकी तैयारियों में जुटे हैं। देश और दुनिया की सबसे बड़ी व अमीर पार्टी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में भी संगठन पर्व के जरिए नए लोगों को पार्टी से जोड़ने और नई ऊर्जा के संचार के लिए नये लोगों को जिम्मेदारी देने की प्रक्रिया चल रही है।
इसी पृष्ठभूमि में नवभारत ने महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण से ‘सागर बंगले’ पर चर्चा की। इस दौरान चव्हाण ने महाराष्ट्र में चल रहे भाषा विवाद, मनपा चुनाव की तैयारियों सहित तमाम मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए। चव्हाण ने कहा कि आगामी सभी चुनाव बीजेपी अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर महायुति में लड़ेगी।
राज्य में भाषा विवाद जोरों पर चल रहा है। राज ठाकरे ने एक बार फिर से सरकार को त्रिभाषा सूत्र लागू न करने की चेतावनी देने पर उन्होंने कहा कि ये लोग सिर्फ राजनीति कर रहे हैं। केंद्र सरकार जब तीन भाषा सूत्र की योजना बना रही थी और महाराष्ट्र सरकार को जब इसकी जानकारी दी।
इसी दिन एनसीपी प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने भी परभणी में महायुति के साथ चुनाव लड़ने की बात कही। परभणी में एक कार्यकर्ता संवाद बैठक में तटकरे ने राकां के कार्यकर्ताओं को मार्गदर्शन किया। एनसीपी (अजित गुट) प्रदेशाध्यक्ष सुनील तटकरे ने कहा आगामी स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव में निश्चित सफलता प्राप्त हो, इसके लिए नेताओं सहित कार्यकर्ताओं को ईमानदारी से पूरी मेहनत करनी चाहिए। हम इन चुनावों में महायुति के रूप में ही उतरेंगे।
इस अवसर पर पार्टी की महिला आघाड़ी की प्रदेशाध्यक्ष रूपाली चाकणकर, विधायक धनंजय मुंडे, विधायक विक्रम काले, विधायक राजेश विटेकर, राकां के परभणी शहराध्यक्ष प्रताप देशमुख सहित अन्य पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित थे। इस अवसर पर बोलते हुए तटकरे ने कहा, पिछली विधानसभा और लोकसभा चुनावों में हमने कार्यकर्ताओं की ताकत के बल पर जोरदार सफलता हासिल की थी। अब लंबे समय के इंतजार के बाद स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव होने जा रहे हैं।
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इन चुनावों के संदर्भ में पार्टी द्वारा लिए गए निर्णयों की समीक्षा, सदस्य पंजीकरण और संगठन निर्माण के उद्देश्य से यह संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया है, ऐसी जानकारी उन्होंने दी। उन्होंने आगे कहा कि लोकसभा चुनावों के बाद विधानसभा चुनाव भी ईवीएम के माध्यम से ही हुए, लेकिन विधानसभा चुनाव में ईवीएम के कारण हार हुई – यह विपक्ष का कहना केवल एक बहाना है और एक नाटक है, ऐसी तीखी टिप्पणी तटकरे ने की।