संजय राउत का शिंदे पर हमला (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना यूबीटी के सांसद व प्रवक्ता संजय राउत केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार, बीजेपी व महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ महायुति सरकार खासकर उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर लगातार हमले बोलते रहते हैं। संजय राउत सत्ता में बने रहने के लिए डीसीएम शिंदे पर काले जादू का सहारा लेने का भी आरोप लगाते रहे हैं।
संजय राउत ने पहले कहा था कि शिंदे ने गुवाहाटी में कामाख्या देवी के दर्शन करने के बाद एक भैंसे की बलि दी थी और उस भैंसे की सींगों को मुख्यमंत्री के आधिकारिक निवास वर्षा बंगले में गाड दिया था। उन्होंने अब अपनी पार्टी के मुखपत्र के स्तंभ ‘रोखठोक’ में दावा किया है कि मुख्यमंत्री फडणवीस सीएम बनने के बाद गाड़ी गई सींगों के डर से तत्काल ‘वर्षा’ बंगले में रहने नहीं गए थे। लेकिन लोक निर्माण विभाग ने ‘वर्षा’ क्षेत्र में खुली जमीन की स्कैनिंग की उसके बाद फडणवीस अब ‘वर्षा’ में रहने लगे हैं।
राउत ने अपने आलेख में सवाल उठाया है कि क्या फडणवीस को वर्षा में भैंसे की सींगें मिल गईं थीं। उन्होंने यह भी सवाल उठाया है कि क्या फडणवीस पूरी तरह संतुष्ट हुए? संजय राउत का दावा है कि जब शिंदे अपने सांसदों व विधायकों के साथ कामाख्या मंदिर गए, तो वहां के पंडों ने उनसे बातचीत की उनमें से भैंसों, बतखों एवं अन्य पशुओं की बलि दी थी। बलि चढ़ाए गए 18 पशुओं की सींग काटकर वे लोग अपने साथ ले आए थे। इन सींगों पर सिंदूर लगाकर अभिमंत्रित करने के बाद लाया जाता है और यहां पूजा के बाद मनोवांछित हेतू इच्छित जगह पर गाड़ा जाता है। इसके लिए कामाख्या मंदिर के ही पंडों को बुलाया जाता है।
राउत का दावा है कि 18 लोग कामाख्या से सींग मुंबई-महाराष्ट्र लाए थे। उन सभी अभिमंत्रित सींगों को किसने और कहां गाड़ा, यह रहस्य है। उन्होंने लेख में लिखा है कि जब मैंने पहली बार लिखा था कि शिंदे के समय में सींगों को ‘वर्षा’ बंगले के पीछे गाड़ा गया था, तो हड़कंप मच गया था। राउत ने यह भी कहा कि यह बात सर्वविदित है कि गाड़े गए सींगों के डर से मुख्यमंत्री फडणवीस ‘वर्षा’ बंगले में तुरंत रहने नहीं गए थे।
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इसी के साथ उन्होंने तंज कसते हुए महायुति सरकार को अंधविश्वास के खिलाफ लड़ने वाले प्रगतिशील महाराष्ट्र की अंधविश्वासी सरकार कहा है। और दावा किया कि इस सरकार की वजह से राज्य में अंधविश्वास को बढ़ावा मिला है। बतौर राउत वह अमावस्या के दिन कामाख्या गए थे। वहां उन्होंने बड़ी संख्या में महाराष्ट्र के लोगों को बलि चढ़ाने की इच्छुक श्रद्धालुओं को कतार में देखा था।