नितिन गडकरी (Image- Social Media)
Mumbai News: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रवाद का नया अर्थ बताया। उन्होंने कहा कि देश के लिए सबसे जरूरी है आयात घटाना और निर्यात को बढ़ावा देना। गडकरी ने ज्ञान और अनुसंधान को देश की तरक्की के लिए अनिवार्य बताया। उन्होंने कहा कि जो देश ज्ञान में अग्रणी होगा, वही ‘विश्वगुरु’ बन पाएगा। उन्होंने शिक्षा और नवाचार को राष्ट्रीय विकास से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया।
नितिन गडकरी ने कार्यक्रम में कहा कि जो देश ज्ञान और अनुसंधान में प्रगति करेगा, वही ‘विश्वगुरु’ के रूप में उभरेगा। उन्होंने शिक्षा और इनोवेशन को राष्ट्रीय विकास की रीढ़ बताया। उनका कहना था कि भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए सबसे जरूरी है—ज्ञान। दुनिया में जो भी देश तरक्की करते हैं, वे ऐसा ज्ञान और अनुसंधान के बल पर ही कर पाते हैं। रक्षा, कृषि और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में काफी अनुसंधान चल रहा है।
गडकरी ने कहा कि पहले युद्ध सैनिकों और टैंकों से लड़े जाते थे, लेकिन अब ड्रोन और मिसाइलों का इस्तेमाल हो रहा है, जो दर्शाता है कि दुनिया ज्ञान-आधारित रणनीतियों की ओर बढ़ रही है। बीजेपी सांसद गडकरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने और इसे दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को पाने के लिए ज्ञान और अनुसंधान पर जोर देना और यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि हमारी शिक्षा जीवनोपयोगी हो।
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गडकरी ने कहा कि देश का भविष्य युवाओं के भविष्य से जुड़ा हुआ है। जिन वस्तुओं का हम आयात करते हैं, उन पर शोध कर आयात को कम करना और निर्यात को बढ़ाना ही असली राष्ट्रवाद है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि विज्ञान और तकनीक में अनुसंधान से आयात पर निर्भरता कम की जा सकती है। गडकरी ने यह भी कहा कि दुनिया भारत की विरासत, इतिहास, संस्कृति और योग के ज्ञान में रुचि दिखा रही है और देश को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसका ज्ञान समाज और राष्ट्र के लिए उपयोगी बने।