नवी मुंबई मनपा
Navi Mumbai News: नवी मुंबई मनपा की वार्ड सीमाओं की अंतिम अधिसूचना को लेकर विवाद छिड़ गया है। भाजपा के वन मंत्री गणेश नाईक और उनके समर्थकों ने शिवसेना प्रमुख एवं उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर जानबूझकर वार्ड सीमाओं का पुनर्निर्धारण करने का आरोप लगाया है। भाजपा समेत विपक्षी महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सहित अन्य दलों ने भी इसी तरह के आरोप लगाए हैं। वहीं नाईक समर्थकों ने अदालत जाने की योजना की घोषणा की है, जिससे मनपा चुनावों के लिए मतदान शुरू होने से पहले ही कानूनी लड़ाई का रास्ता साफ हो गया है। राज्य चुनाव आयोग द्वारा जारी नवी मुंबई मनपा वार्डों की अंतिम अधिसूचना 6 अक्टूबर को महाराष्ट्र सरकार के राजपत्र में प्रकाशित हुई थी।
वार्ड संरचना जारी होने के बाद गणेश नाईक के भतीजे और पूर्व महापौर सागर नाईक ने कहा कि अंतिम अधिसूचना में कुछ सुधार किए गए हैं, लेकिन अभी भी विसंगतियां बनी हुई हैं। एक खास राजनीतिक दल को फायदा पहुंचाने के लिए वार्ड की सीमाओं का पुनर्निर्धारण किया गया है। यह चुनाव में धांधली करने की कोशिश है। इसके विरोध में हम अदालत में न्याय की गुहार लगाएंगे, जो उन्हें उचित फटकार लगाएगी।
गौरतलब है कि 22 अगस्त, 2025 को जारी वार्ड योजना के मसौदे में 111 एकल-सदस्यीय वार्डों की जगह 28 बहु-सदस्यीय पैनल बनाए गए हैं, जिनमें 27 पैनल प्रत्येक में चार नगरसेवकों का चुनाव करेंगे और एक पैनल तीन नगरसेवकों का चुनाव करेगा।
इस योजना पर अभूतपूर्व 2,511 आपत्तियां और सुझाव आए थे, जो राज्य में सबसे ज्यादा थे। नाईक समर्थकों ने इनमें सबसे अधिक संख्या में विरोध दर्ज कराया था। इसके बाद राज्य चुनाव आयोग ने सुझावों और आपत्तियों के आधार पर वार्ड योजना में कई बदलाव किए। लेकिन अंतिम अधिसूचना के प्रकाशन के बाद, सभी दलों के नेताओं ने गांवठानों को ऊंची आवासीय परिसरों के साथ मिला दिए जाने, औद्योगिक क्षेत्रों को आवासीय समूहों में जोड़े जाने और परिवारों को पैनलों में बांट दिए जाने की शिकायत की। उन्होंने कहा कि कुछ इलाकों में मतदाताओं को दूर-दराज के मतदान केंद्र दिए गए हैं।
शिवसेना (यूबीटी) उपनेता विठ्ठल मोरे ने भी सहमति जताते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि दोनों पार्टियों ने अपने फायदे के लिए मिलकर साजिश रची है। हालांकि नाईक खेमा इस फैसले को कानूनी तौर पर चुनौती देने की तैयारी कर रहा है और शिंदे सेना तत्काल चुनाव कराने पर जोर दे रही है। ऐसे में नवी मुंबई के निकाय चुनाव मतपत्रों के साथ-साथ सीमाओं को लेकर भी लड़े जाएंगे।
शिवसेना ने भी कई आपत्तियां दर्ज कराई थीं। पूर्व उपमहापौर अशोक गावड़े ने दावा किया कि नेरुल में प्राकृतिक सीमाओं की अनदेखी की गई है और गांवठानों तथा नोड्स को एक साथ जोड़ दिया गया है, जबकि उनके मुद्दे बहुत अलग हैं। गावड़े ने कहा कि उन्हें मिलाना समझदारी नहीं है और इससे गड़बड़ी पैदा होगी। वरिष्ठ शिवसेना नेता विजय चौगुले ने कहा कि मेरा इलाका, जिसमें चिंचपाड़ा और यादव नगर एक साथ थे, अब विभाजित हो गए हैं। अब किस पर पक्षपात का आरोप लगाया जाए?
नवी मुंबई शिवसेना प्रमुख किशोर पाटकर ने पक्षपात के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कुछ लोगों को रोने, शिकायत करने और निराधार आरोप लगाने की आदत होती है। हमारे इलाके भी प्रभावित हुए हैं, जो स्वाभाविक है क्योंकि चुनाव आयोग को कई मानकों का ध्यान रखना होता है। हम रोएंगे नहीं, बल्कि नवी मुंबई के निवासियों और आम आदमी के लिए लड़ेंगे।
मुंबई प्रमुख रामचंद्र घरात ने कहा, “हालांकि मेरे इलाके (तुर्भे) में भारी आपत्तियों के बाद सुधार किया गया है, फिर भी हम संतुष्ट नहीं हैं। कई जगहों पर जानबूझकर विसंगतियां की गई हैं, जहां राजनीति की गई है।”
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पूर्व महापौर सुधाकर सोनवणे ने कहा कि चूंकि यह पहली बार है जब नवी मुंबई में बहु-पैनल प्रणाली लागू होगी, इसलिए कुछ लोगों का नाखुश होना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि पार्टियां अदालत जा सकती हैं, लेकिन मेरे जैसे निर्दलीय उम्मीदवारों को अपने काम के आधार पर जनता के पास जाना होगा।