रोहित पवार (Image- Social Media)
Mumbai News: महाराष्ट्र की राजनीति से संयम और शालीनता खत्म होती जा रही है। नेतागण लोगों को अपशब्द कहना अपना अधिकार समझने लगे हैं। ऐसा ही एक मामला शनिवार को राज्य के सियासी गलियारे में चर्चा का विषय बना। मामला राकां शरदचंद्र पवार पार्टी के विधायक रोहित पवार से जुड़ा है। शुक्रवार को एक जनसभा में एक सरकारी अधिकारी का बाप बखानने की वजह से कर्जत जामखेड़ के विधायक रोहित विरोधियों के निशाने पर आ गए। रोहित ने अधिकारी को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “ये तुम्हारे बाप का पैसा नहीं, जनता का पैसा है।” सार्वजनिक मंच से अधिकारी को अपमानित करने का मामला शनिवार को तूल पकड़ लिया।
रोहित पवार जामखेड में आयोजित एक सभा में नागरिकों की शिकायतें सुन रहे थे। इसी दौरान एक नागरिक ने जल निकासी नहर के घटिया काम को लेकर सवाल उठाया और कुछ तस्वीरें भी दिखाई। इस पर अधिकारी हेकड़ी दिखाने लगा। अधिकारी ने कहा कि उसे नहीं पता ये तस्वीरें कब की हैं। इस पर रोहित की सटक गई और उन्होंने अफसर से कहा, “शिकायत करने वाले लोग बेवकूफ नहीं हैं। यह पैसा जनता का है, तुम्हारे बाप का नहीं। बेवकूफों की तरह बात मत करो।”
विरोधियों का कहना है कि जल निकासी से जुड़े खराब कामों की शिकायतें पर अधिकारी ने अपना पक्ष रखा था लेकिन रोहित ने जनता को खुश करने के लिए अधिकारी की बात को अनसुना कर दिया और अधिकारी को ईमानदारी व संवेदनशीलता से काम करने की नसीहत देने लगे। तो वहीं बीजेपी ने सरकारी अधिकारी से रोहित के बर्ताव का इस्तेमाल अपने विधायक गोपीचंद पडलकर के बचाव के लिए करने का प्रयास किया है। पडलकर ने दो रोज पहले राकां शरदचंद्र पवार पार्टी के वरिष्ठ नेता जयंत पाटिल पर अपशब्द कहते हुए हमला बोला था। इसकी शिकायत शरद पवार ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से की थी। तो वहीं शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पार्टी के सांसद संजय राऊत ने भी पडलकर के बयान की आलोचना करते हुए बीजेपी पर निशाना साधा था।
इसमें कोई शक नहीं कि महाराष्ट्र में सरकारी कामकाज घटिया है। अधिकारियों से इस पर कड़ी प्रतिक्रिया मांगी जानी चाहिए। काम के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करना तो सही है। लेकिन क्या किसी अधिकारी को सार्वजनिक रूप से अपमानित करना उचित है? रोहित का अधिकारियों से कहना, “तुम कंचे खेल रहे हो क्या?” “अपनी जेब से हाथ निकालो। दुष्ट कहीं के, मैं तुमको चेतावनी दे रहा हूं, तुम अब कुछ कहना नहीं।” यह कैसी भाषा है? जैसा चाचा, वैसा भतीजा?
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बीजेपी का कहना है कि, अब पवार साहब किसे फ़ोन करेंगे? विधायक रोहित पवार ने एक सरकारी कर्मचारी को डांटने के दौरान उसका पिता बखानने लगे। आपने बोया पेड़ बबूल का, तो आम कहां से निकलेंगे, जो बोए हैं वहीं काटेंगे ना।