मुंबई मेट्रो-1 (pic credit; social media)
Mumbai Metro Line-1: मुंबई की पहली पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मेट्रो लाइन-1 (अंधेरी से घाटकोपर) एक बार फिर चर्चा में है। रोजाना लगभग 5 लाख यात्रियों को सफर कराती यह मेट्रो अब आर्थिक संकट से जूझ रही है। भारी कर्ज और लगातार घाटे की वजह से यात्रियों में यह डर था कि कहीं एक बार फिर किराया न बढ़ा दिया जाए। लेकिन इस बार मुंबई मेट्रोपॉलिटन रिजन डिवेलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) ने बिना यात्रियों पर बोझ डाले मेट्रो-1 को घाटे से उबारने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है।
एमएमआरडीए ने इसके लिए एक स्वतंत्र अध्ययन समूह (आईएसजी) का गठन किया है। तीन सदस्यीय इस समिति की कमान पूर्व मुख्य सचिव चेनी जोसेफ को सौंपी गई है। सूत्रों के मुताबिक समिति का फोकस मेट्रो की खाली पड़ी परिसंपत्तियों का व्यावसायिक उपयोग कर राजस्व बढ़ाना है।
मेट्रो-1 के करीब 500 पिलर हैं जिन्हें आउटडोर विज्ञापन के लिए खोला जाएगा। इससे करोड़ों की आमदनी होने की उम्मीद है। स्टेशन परिसरों के नॉन-पैसेंजर एरिया में रिटेल दुकानों को जगह दी जाएगी। इतना ही नहीं, डीएन नगर डिपो में मौजूद 6 मंजिला इमारत, जो फिलहाल खाली है, उसे व्यावसायिक लीज पर देने की योजना भी बनाई गई है।
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अधिकारियों का मानना है कि इन कदमों से यात्रियों पर किराए का बोझ डाले बिना मेट्रो की वित्तीय हालत मजबूत की जा सकती है। अभी मेट्रो-1 की कुल लागत करीब 4,026 करोड़ रुपये है और इस पर लगभग 3,000 करोड़ का बकाया कर्ज है।
यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अब 4-कोच ट्रेनें नाकाफी साबित हो रही हैं। रोज़ाना यात्रा करने वाले लोगों की मांग है कि जल्द से जल्द 6-कोच ट्रेनें शुरू की जाएं। इसके लिए मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड (एमएमओपीएल), रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और डीआरसीएल के सहयोग से फाइनेंस प्लान तैयार किया गया है।
गौरतलब है कि मेट्रो-1 में 74% हिस्सेदारी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और 25% हिस्सेदारी एमएमआरडीए की है। पहले राज्य सरकार ने इसे 24,000 करोड़ रुपये में खरीदने का फैसला किया था, लेकिन बाद में यह निर्णय पलट दिया गया। अब पूरा ध्यान आईएसजी की रिपोर्ट पर है, जिससे तय होगा कि मेट्रो-1 की आर्थिक मजबूती के लिए कौन-सा रास्ता अपनाया जाए।