बंबई उच्च न्यायालय (सोर्स: सोशल मीडिया)
Mumbai High Court ruling For Housing Society: नीलामी के माध्यम से फ्लैट खरीदने के बावजूद, सोसाइटी के पहले से बकाया रखे गए भुगतान किए बिना खरीदार को सोसाइटी की सदस्यता नहीं दी जा सकती।
सरफेसी कानून के तहत खरीदार कोई अपवाद नहीं हो सकता, ऐसा स्पष्ट निर्णय मुंबई उच्च न्यायालय ने दिया है। सोसाइटी के कानूनी बकाए का भुगतान करना, सदस्यता लेना चाहने वाले व्यक्ति की जिम्मेदारी है, ऐसा अवलोकन न्यायमूर्ति अमित बोरकर की एकलपीठ ने दहिसर स्थित एक हाउसिंग सोसाइटी को राहत देते हुए दर्ज किया।
संबंधित सोसाइटी के एक फ्लैट मालिक ने मेंटेनेंस के रूप में देय 57 लाख 96 हजार 197 रुपये बकाया रखे थे। कई बार नोटिस भेजने के बावजूद फ्लैट मालिक ने सोसाइटी को कोई जवाब नहीं दिया, अंततः एक बैंक ने उस फ्लैट को कब्जे में ले लिया।
सोसाइटी ने बैंक को भी सोसाइटी के बकाए के बारे में जानकारी दी थी। इसके बावजूद बैंक ने सोसाइटी के ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट‘ (एनओसी) के बिना ही फ्लैट नीलामी में रख दिया। एक व्यक्ति ने वह फ्लैट खरीदा और कुछ ही दिनों में सोसाइटी की सदस्यता के लिए आवेदन किया। लेकिन बकाया राशि होने के कारण सोसाइटी ने उसे सदस्यता देने से इनकार किया था।
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यदि सोसाइटियों को बकाया राशि लिए बिना ‘हस्तांतरण स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया, तो वै नियमित खर्च वसूल नहीं कर पाएंगी। इसका परिणाम सभी सदस्यों पर पड़ेगा। इसलिए कानून में की गई यह व्यवस्था सोसाइटी की आर्थिक स्थिरता की रक्षा करती है। सहकारी गृहनिर्माण संस्थाएं मेंटेनेंस पर ही निर्भर होती है, हर सदस्य मेंटेनेंस देता है, जिससे उन्हें सामान्य सुविधाएं मिलती है।