(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Mumbai News In Hindi: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय ठगों के अड्डे के रूप में सुर्खियों में है। साल 2025 में मुंबई पुलिस, मुंबई क्राइम ब्रांच और गुजरात पुलिस ने मिलकर शहर के विभिन्न इलाकों में बड़ी कार्रवाइयां की है।
जनवरी से दिसंबर तक ठगी के 6 अलग-अलग रैकेट्स का भंडाफोड़ हुआ है। इनमें फर्जी लोन, स्टॉक ट्रेडिंग, एक्सपोर्ट स्कैम और काउंटर फिट ड्रग्स के नाम पर, अमेरिका व कनाडा के नागरिकों से अरबों रुपये की ठगी की गई है।
पुलिस की इन कार्रवाइयों में कुल 64 से ज्यादा आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। पुलिस के अनुसार, ये रैकेट डार्क वेब से अमेरिकी व कनाडाई नागरिकों का निजी डेटा खरीदते हैं और फिर परफेक्ट अमेरिकी लहजे में फोन करके ठगते हैं। ठगी का पैसा क्रिप्टोकरेंसी और मनी म्यूल्स के जरिए ट्रांसफर किया जाता है।
मुंबई के उपनगरीय इलाकों में ऐसे फर्जी कॉल सेंटर तेजी से बढ़ रहे हैं। क्योंकि यहाँ लग्जरी ऑफिस सस्ते किराए पर मिल जाते हैं, और हाई-स्पीड इंटरनेट की सुविधा हर जगह उपलब्ध है। पुलिस का कहना है कि ये गिरोह डार्क वेब से अमेरिकी नागरिकों का डेटा खरीदते थे और ठगी का पैसा क्रिप्टोकरेंसी तथा मनी म्यूल्स के जरिए ट्रांसफर करते थे।
ताजा मामला मुंबई के जोगेश्वरी (पश्चिम) स्थित अंबोली क्षेत्र के कैवानी पाड़ा, एसवी रोड पर चल रहे टीम ग्रेड 9 सिक्योरिटी सर्विसेज एलएलपी नामक लग्जरी ऑफिस का है। दिखने में भव्य यह कार्यालय असल में एक खतरनाक फर्जी अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर था।
मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच यूनिट-9 ने देर रात छापेमारी करके इस रैकेट का पर्दाफाश किया और 8 आरोपियों को मौके से गिरफ्तार कर लिया, मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच यूनिट-9 ने देर रात छापेमारी करके इस रैकेट का पर्दाफाश किया और 8 आरोपियों को मौके से गिरफ्तार कर लिया।
आरोपियों के पास से पुलिस ने 35 लैपटॉप, 40 हेडसेट, 15 हार्ड ड्राइव, दर्जनों पेन ड्राइव, संक्रिप्ट्स, अमेरिकी नागरिकों का निजी डेटा (नाम, फोन, पता, मेडिकल हिस्ट्री) और लग्जरी कारें बरामद की हैं। शुरुआती जांच में पता चला है कि इस एक सेंटर से अब तक 15-20 करोड़ रुपये की ठगी हो चुकी है। रैकेट का मास्टरमाइंड अभी फरार है, जिसकी तलाश में मुंबई, गुजरात और दिल्ली में छापे चल रहे हैं।
ये लोग पिछले 6-7 महीनों से अमेरिकी नागरिकों को निशाना बना रहे थे, अमेरिकी लहजे में धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलने वाले ये ठग पीड़ितों को फोन करके पहले डराते थे कि उनकी कंप्यूटर सिक्योरिटी हैक हो गई है या फिर सस्ती दवाइयों की जरूरत है।
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वियाग्रा, सियालिस जैसी महंगी दवाओं पर 170-80% तक डिस्काउंट का लालच देकर क्रेडिट कार्ड की पूरी जानकारी लेते और नकली या मिलावटी दवाएं भेजते थे। एक ही व्यक्ति से बार-बार हजारों डॉलर ठग लिए जाते थे। आरोपियों के पास से पुलिस ने 35 लैपटॉप, 40 हेडसेट, 15 हार्ड ड्राइव, दर्जनी पेन द्वादव, अमेरिकी नागरिकों का निजी डेटा (नाम, फोन नंबर, पता, मेडिकल हिस्ट्री) और लग्जरी गाड़ियां बरामद की है। रैकेट का मुख्य सरगना अभी फरार है। उसकी तलाश में मुंबई, गुजरात और दिल्ली में लगातार छापेमारी की जा रही है।