राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: मराठी भाषा के समर्थन में और हिंदी थोपने के विरोध में मनसे ने आक्रामक रुख अपनाया है। मनसे की ओर से आगामी 5 जुलाई को एक मोर्चा निकाला जाएगा। वहीं, शिवसेना (उद्धव गुट) की ओर से 7 जुलाई को मोर्चा निकाला जाएगा। पहली कक्षा से त्रिभाषा सूत्र लागू करने और हिंदी भाषा थोपने के विरोध में दोनों पक्ष मिलकर संयुक्त मोर्चा निकालें, इसके लिए प्रयास जारी हैं।
चूंकि, 6 जुलाई को आषाढ़ी एकादशी है, इसलिए मनसे ने 6 की जगह 5 जुलाई को मोर्चा आयोजित करने का निर्णय लिया है। 5 जुलाई को निकलने वाले मोर्चे के लिए मनसे ने सभी मराठी भाषी लोगों, सभी राजनीतिक दलों और विशेष रूप से उद्धव गुट की शिवसेना को भी आमंत्रण दिया है। इस निमंत्रण का उद्देश्य है कि मराठी भाषा के समर्थन और हिंदी थोपने के विरोध में सब एकजुट हों।
सूत्रों के अनुसार, दोनों दलों के बीच एकजुट होकर एक ही दिन भव्य मोर्चा निकालने की दिशा में मनसे और उद्धव गुट के नेता समान रूप से प्रयासरत हैं। त्रिभाषा सूत्र विरोधी समन्वय समिति पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि शिवसेना (उद्धव गुट) और कांग्रेस के समर्थन से 7 जुलाई को मोर्चा निकाला जाएगा। ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ठाकरे गुट 5 जुलाई को मनसे के साथ मोर्चे में शामिल होगा?
राज ठाकरे ने कहा था, हिंदी-विरोधी मोर्चे में सभी शामिल होंगे। अगर महाराष्ट्र के लिए लड़ाई है तो उद्धव गुट की शिवसेना भी आ ही जाएगी। हम उनसे भी बात करेंगे, हमारे लोग उनसे भी संपर्क करेंगे। किसी भी झगड़े या विवाद से महाराष्ट्र बड़ा है, ये बात 6 जुलाई को सबको समझ में आ जाएगी।
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हालांकि, अब मोर्चा 5 जुलाई को निकाला जा रहा है। पहली कक्षा से ही पाठ्यक्रम में हिंदी को अनिवार्य करने के प्रस्ताव का महाराष्ट्रभर में विरोध तेज हो रहा है। मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहले 6 जुलाई को मोर्चे का ऐलान किया था, लेकिन अब यह मोर्चा 5 जुलाई को निकाला जाएगा।