राज ठाकरे (सौजन्य-एएनआई)
मुंबई: महाराष्ट्र में भाषा को लेकर कई समय से विवाद चल रहा है। इन विवादों के बाद अब स्कूल शिक्षा विभाग ने नया फैसला जारी करते हुए कहा है ति अब स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्यता दी जाएगी। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने राज्य के स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य बनाने पर सवाल किया कि छात्रों पर हिंदी “थोपने” की क्या जरूरत थी? राज ठाकरे ने राज्य के स्कूलों से सरकार के “जानबूझकर भाषाई विभाजन पैदा करने के छिपे हुए एजेंडे” को विफल करने की अपील की।
ठाकरे ने कहा कि हिंदी कुछ उत्तरी राज्यों की राजभाषा है और इसे महाराष्ट्र पर थोपना गलत है, जहां मराठी का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। राज्य सरकार ने मंगलवार को एक आदेश जारी करके कहा था कि राज्य में पहली से पांचवी कक्षा तक मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में छात्रों को हिंदी “सामान्य रूप से” तीसरी भाषा के तौर पर पढ़ाई जाएगी।
राज ठाकरे ने संवाददाताओं से कहा कि अगर सरकार स्कूलों पर दबाव डालती है, तो मनसे उनके साथ “चट्टान” की तरह खड़ी रहेगी। उन्होंने अंग्रेजी और मराठी का पिछला दो-भाषा फॉर्मूला जारी रखने की मांग की। राज ठाकरे ने कहा, “परिणामों के लिए सरकार जिम्मेदार होगी। यदि वह सोचती है कि यह हमारी ओर से चुनौती है, तो ऐसा ही समझ लिया जाए।”
ठाकरे की पार्टी बैंकों और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में मराठी भाषा के उपयोग पर जोर देती रही है। ठाकरे ने सवाल किया, “हिंदी के विकल्प की आवश्यकता क्यों है? स्कूल में बड़ी कक्षाओं से ही हिंदी हमेशा एक ऑपश्नल भाषा रही है। जो लोग इस भाषा को सीखना चाहते हैं, वे हमेशा ऐसा करते हैं। इसे छोटे बच्चों पर क्यों थोपा जाए?”
मनसे नेता ने कहा, “मैं इसके पीछे की राजनीति को नहीं समझ पा रहा हूं।” उन्होंने सवाल किया कि क्या महाराष्ट्र की IAS लॉबी ऐसा कर रही है ताकि उन्हें मराठी को जानने की जरूरत न पड़े। राज ठाकरे ने कहा कि उन्हें शक था कि सरकार यू-टर्न ले सकती है, क्योंकि हिंदी को अनिवार्य नहीं करने का फैसला लेने के बाद कोई जीआर जारी नहीं किया गया था।
उन्होंने कहा, “हिंदी पाठ्य पुस्तकों की छपाई जारी है।” ठाकरे ने कहा कि स्कूल प्रबंधन और प्रधानाचार्यों के अलावा, वह सरकार को भी नया आदेश वापस लेने के लिए पत्र लिखेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि अंग्रेजी और मराठी का पिछला दो-भाषा फॉर्मूला जारी रहना चाहिए। ठाकरे ने कहा, “मैं स्कूलों, अभिभावकों और सभी लोगों से अपील करता हूं कि वे स्वार्थी राजनीतिक हितों के लिए जानबूझकर भाषाई विभाजन पैदा करने के सरकार के छिपे हुए एजेंडे को विफल करें।”
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उन्होंने दावा किया कि आने वाले समय में मराठी का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों को, चाहे वे मराठी भाषी हों या न हों, सरकार के फैसले का विरोध करना चाहिए। ठाकरे ने कहा कि गुजरात में 3 भाषाओं का फॉर्मूला नहीं है और स्कूलों में हिंदी अनिवार्य भी नहीं है। उन्होंने कहा कि हिंदी केवल कुछ उत्तरी राज्यों की राजभाषा होने के कारण इसे महाराष्ट्र पर थोपना गलत है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)