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जीआर जारी सस्पेंस बरकरार…क्या मराठों को मिलेगा लाभ? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

Maharashtra News: मराठा आरक्षण मुद्दे पर जीआर जारी होने के बाद मनोज जरांगे पाटिल ने अनशन तोड़ा, लेकिन ओबीसी कोटे से लाभ को लेकर अब भी संशय बरकरार है।

  • By आकाश मसने
Updated On: Sep 04, 2025 | 07:03 AM

मनोज जरांगे व सीएम देवेंद्र फडणवीस (डिजाइन फोटो)

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Maratha Reservation GR News: मुंबई हैदराबाद गजेटियर को राज्य की महायुति सरकार की मान्यता और इस संबंध में जीआर जारी होने के बाद मराठा आंदोलनकारी मनोज जरांगे पाटिल ने मुंबई के आजाद मैदान पर पांच दिनों से जारी अपनी अनशन मंगलवार की शाम खत्म कर दिया था। लेकिन अब ये सवाल उठ रहा है कि क्या इस जीआर के बाद मराठों को ओबीसी कोटे से नौकरी आदि में लाभ मिल पाएगा? जानकारों की इस पर अलग-अलग राय देखने को मिल रही है।

मनोज जरांगे का अनशन खत्म होने और मराठों के अपने गांव वापस लौट जाने के बाद मुंबईकर जहां राहत की सांस ले रहे हैं। वहीं मराठा आरक्षण के संदर्भ में जारी जीआर की उपयोगिता को लेकर एक नई बहस राज्य में शुरू हो गई है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि जरांगे को एक बार फिर से बहला-फुसलाकर आंदोलन खत्म करवाने में सरकार सफल हुई है। सबसे अहम बात यह है कि महायुति सरकार के कैबिनेट मंत्री चंद्रकांत पाटिल का दो रोज पहले ही दिया गया बयान मराठों के आरक्षण के समाधान के दावे को संदिग्ध बना रहा है।

फंसावटी समाधान से नहीं होगा लाभ

उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि यदि आपको कोई फंसावटी समाधान चाहिए, तो ले लीजिए। लेकिन गजेटियर की प्रविष्टियों के आधार पर जारी किए गए प्रमाण पत्रों का आपको शिक्षा, नौकरी या चुनाव में कोई लाभ नहीं मिलेगा। इसके लिए सत्यापन जरूरी है और सत्यापन के बाद ज्यादातर प्रमाणपत्र टिकते नहीं हैं।

यह जीआर सिर्फ कागज का टुकड़ा है

मराठा आरक्षण याचिकाकर्ता विनोद पाटिल ने कहा कि मैं समाज के आरक्षण के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहा हूं। समाज मेरी ओर अपेक्षा भरी नजरों से देख रहा है। लेकिन मैं दावे के साथ कहता हूं कि इस जीआर से कुछ हासिल नहीं होगा। इसका सूई की नोक बराबर भी महत्व नहीं है। यह सिर्फ कागज का एक टुकड़ा है। मैं इसे 100 में से शून्य अंक देता हूं। राधाकृष्ण विखे पाटिल को जीआर पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।

विधानसभा में कांग्रेस के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि मराठा समुदाय को देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे से संयुक्त रूप से जवाब मांगना चाहिए। इससे पहले शिंदे समिति को 58 लाख प्रविष्टियां मिली थीं। जिनके आधार पर 96 हजार जाति प्रमाण पत्र दिए गए। लेकिन उनकी वैधता का सवाल अभी भी अनुत्तरित है। यह जीआर हैदराबाद राजपत्र के आधार पर जारी किया गया है।

यह भ पढ़ें:- महाराष्ट्र में अब 9 नहीं 10 घंटे करना होगा काम, कैबिनेट ने बदला कानून

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मराठा और कुनबी जातियां एक नहीं हैं। अब जब यह जीआर कैबिनेट के सामने जाएगा तब हमें देखना होगा कि अंतिम मसौदा क्या निकलता है? भाजपा ने दोनों समुदायों के वोट पाने के लिए दोनों से धूर्तता पूर्वक खेलने की नीति अपनाते हुए यह ‘जीआर’ जारी किया है। इसलिए फिलहाल इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। हम इस फैसले का अध्ययन कर रहे हैं।

कुणबी प्रमाण पत्र हासिल करना आसान नहीं

वरिष्ठ अधिवक्ता असीम सरोदे ने कहा कि मुझे आखिरी वक्त पर मनोज जरांगे के करीबी लोगों के फोन आए। उन्होंने मुझसे पूछा कि हम सरकारी प्रतिनिधियों को क्या जवाब दें, इस बारे में मेरी क्या राय है? मैंने एक संदेश टाइप करके उन्हें भेज दिया, लेकिन सब कुछ इससे पहले ही निपट चुका था। ऐसा स्पष्ट प्रतीत होता है कि यह जीआर मनोज जरांगे की अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं है। इसके जारी होने के बाद भी कुणबी प्रमाण पत्र हासिल करना आसान नहीं होगा।

पूर्व न्यायाधीश बीजे कोलसे पाटिल ने कहा कि इतने बड़े आंदोलन से हमें क्या मिला? मैंने जरांगे पाटिल को फोन करके रोते हुए कहा था कि आप यह ठीक नहीं कर रहे हैं। इससे मराठों को बहुत नुकसान होगा। यदि आप इस सरकारी आदेश के पूरे अंश को देखें तो इससे स्पष्ट हो जाता है कि यह आरक्षण कानून की कसौटी पर खरा नहीं उतरेगा। इसलिए यदि कानूनी आरक्षण देना है तो केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर देना चाहिए।

Maratha reservation gr benefit uncertainty

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Published On: Sep 04, 2025 | 07:03 AM

Topics:  

  • Maharashtra Government
  • Maharashtra News
  • Manoj Jarange
  • Maratha Reservation

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