चंद्रशेखर बावनुके-अन्ना हजारे-देवेंद्र फडणवीस (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: उप मुख्यमंत्री अजित पवार की राकां के धनंजय मुंडे और कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ये दोनों मंत्री विपक्ष के रडार पर हैं। लगातार इनकी मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी की मांग कर रहा विपक्ष अब बीजेपी और खासकर मुख्यमंत्री फडणवीस पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगा रहा है।
लेकिन देश में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के प्रणेता अन्ना हजारे द्वारा मंत्री मुंडे को मंत्रिमडल से निकालने तथा कोकाटे का मंत्री पद व विधायक का पद रद्द किए जाने की के कारण सरकार दबाव में आ गई है। महायुति सरकार के राजस्व मंत्री एवं बीजेपी के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने रविवार को कहा कि मुख्यमंत्री, अन्ना की मांगों पर गंभीरता पूर्व विचार कर रहे हैं। सरकार जल्द ही इस पर निर्णय लेगी।
सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दमानिया ने धनंजय मुंडे पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। तो वहीं बीड जिले के मस्साजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या मामले में वाल्मिक कराड की गिरफ्तारी के बाद मंत्री धनंजय मुंडे भी सवालों के घेरे में आ गए। जबरन वसूली का विरोध करने की वजह से की गई सरपंच की हत्या मामले में गिरफ्तार कराड़ को धनंजय मुंडे का दायां हाथ माना जाता है।
इस वजह से धनंजय, एवं पुलिस की भूमिका पर बीजेपी विधायक सुरेश धस, अंजलि दमानिया एवं मराठा आंदोलनकारी मनोज जरांगे पाटिल तक सवाल उठाते रहे हैं। जबकि माणिकराव कोकाटे व उनके भाई को 1995 दस्तावेजों में हेराफेरी करके सरकारी मकान हथियाने के मामले में एक अदालत ने दोषी ठहराते हुए 2 साल की सजा सुनाई है।
शिवसेना यूबीटी सांसद संजय राउत “नैतिकता इस सरकार के इर्द-गिर्द भी नहीं फटक रही है। मुख्यमंत्री फडणवीस भ्रष्ट मंत्रियों के मामले में चुप क्यों हैं?”
शिवसेना यूबीटी पूर्व मुख्यमंत्री व पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा क्या मुंडे और कोकाटे को संरक्षण देना ही बीजेपी का हिंदुत्व है?
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विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा राहुल गांधी और सुनील केदार के मामले में जिस तरह से झटपट कार्रवाई की गई थी, उसी तरह मंत्री कोकाटे के खिलाफ भी कार्रवाई करें।
कांग्रेस सांसद व मुंबई प्रदेश अध्यक्ष वर्षा गायकवाड ने कहा राहुल गांधी, सुनील केदार और माणिकराव कोकाटे के लिए अलग-अलग न्याय क्यों? कोकाटे का विधायक दर्जा तुरंत रद्द किया जाए।
इन आरोपों को देखते हुए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा, “13 अक्टूबर 2015 को निर्वाचन आयोग द्वारा जारी नियमों की अधिसूचना के अनुसार, संबंधित प्राधिकारियों द्वारा सात दिनों के भीतर आधिकारिक रूप से आदेश विधानमंडल को उपलब्ध कराने का प्रावधान है। इसके बाद, विधानमंडल को सात दिनों के भीतर इस पर अधिसूचना जारी करनी होगी। इसलिए निश्चिंत रहें, इस संबंध में कोई पक्षपात नहीं होगा।”