मुंबई कबूतरखाना (pic credit; social media)
Mumbai Pigeon House Controversy: मुंबई में कबूतरखानों पर लगी पाबंदी अब धर्म और राजनीति दोनों के अखाड़े में उतर आई है। बीएमसी के एक्शन से नाराज़ जैन समाज सड़कों पर उतर चुका है और अब जैन मुनियों ने अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया है। शनिवार को आयोजित ‘कबूतर बचाव धर्म सभा’ में भावनात्मक माहौल के बीच मुनियों ने ‘शांतिदूत जनकल्याण पार्टी’ की घोषणा की।
जैन मुनि नीलेश चंद्र विजय ने कहा, “यह सिर्फ जैन समाज की नहीं, बल्कि सनातन धर्म की सरकार को चेतावनी है।” उन्होंने दावा किया कि जैन समुदाय महाराष्ट्र सरकार को सबसे ज़्यादा टैक्स देता है, इसलिए अब उसकी आवाज़ अनसुनी नहीं की जाएगी। पार्टी का चुनाव चिह्न ‘कबूतर’ रखा गया है। मुनियों ने कहा कि यह पार्टी सिर्फ जैनों की नहीं, बल्कि गुजराती और मारवाड़ी समाज की आवाज बनेगी।
सभा के दौरान माहौल भावनात्मक हो गया जब मुनियों ने उन कबूतरों को श्रद्धांजलि दी, जिनकी मौत कबूतरखाने बंद होने से हुई थी। नीलेश मुनि ने मंच से कहा, “प्याज के कारण कांग्रेस की सरकार गिरी, मुगों के कारण शिवसेना की, अब कबूतरों के कारण कौन गिरेगा, सोचिए!” उनका बयान सीधे तौर पर महायुति सरकार की तरफ इशारा करता नजर आया।
जैन मुनि कैवल्य रत्न महाराज ने कहा, “कबूतर शांत प्राणी हैं, हमारी आस्था का प्रतीक हैं। जैसे जटायु ने सीता की रक्षा के लिए जान दी, वैसे ही जीवों की रक्षा हमारा धर्म है।” सभा में मौजूद कई हिंदू धर्मगुरुओं ने भी सरकार को चेतावनी दी कि “धर्म सत्ता से ऊपर है।”
बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद बीएमसी ने कबूतरखानों को सील कर दिया था। प्रशासन का तर्क है कि इससे गंदगी और बीमारियां फैलती हैं, लेकिन जैन समाज का कहना है कि यह उनकी आस्था और जीवदया पर प्रहार है।
अब सवाल यह है क्या ‘कबूतर विवाद’ बीएमसी चुनावों में नया सियासी मुद्दा बनेगा? क्या धर्म और जीवदया की राजनीति मुंबई की सत्ता की दिशा बदलेगी? संकेत साफ हैं, ‘कबूतर’ अब सिर्फ उड़ नहीं रहे, राजनीति में उथल-पुथल मचाने जा रहे हैं।