कर्ज के बोझ तले दबा महाराष्ट्र, साल के आखिरी तक होगा 9 लाख करोड़, विपक्ष ने फडणवीस सरकार को घेरा
Mumbai News: महाराष्ट्र की महायुति सरकार धीरे-धीरे कर्ज के बोझ तले दबती जा रही है। अनुमान है कि इस साल के आखिर तक राज्य पर 9 लाख करोड़ रुपये कर्ज हो जाएगा। इस पर जहां सरकार चुप्पी साधे है, वहीं विपक्ष ने महायुति सरकार को घेरा है। महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और विधायक नाना पटोले ने कहा कि सरकार लगातार कर्ज ले रही है, लेकिन वह पैसा आखिर जा कहां रहा है? सड़क निर्माण करने वाले ठेकेदारों को भुगतान नहीं कर पा रही है, तो सवाल उठना स्वाभाविक है।
स्थानीय निकाय चुनाव नजदीक हैं। ऐसे में सरकार लगातार नया कर्ज लेती जा रही है। जून के आखिर तक राज्य पर कुल कर्ज 8 लाख 55 हजार 397 करोड़ रुपये हो चुका था। सरकार ने पहली तिमाही में 24,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया। राज्य के वित्त विभाग का अनुमान है कि वर्ष के अंत तक यह आंकड़ा 9 लाख 32 हजार 342 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। वैसे तो सरकार कुल जीएसडीपी का 21 प्रतिशत तक कर्ज ले सकती है, और अब तक यह आंकड़ा 18 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2025-26 के लिए महाराष्ट्र को 1 लाख 46 हजार 687 करोड़ रुपये तक कर्ज लेने की अनुमति दी है। इसके तहत पहले 9 महीनों में 99 हजार करोड़ रुपये तक कर्ज लेने की छूट है, जिसमें से 10 हजार करोड़ रुपये नाबार्ड और नेशनल हाउसिंग बैंक से लिए जाएंगे।
राज्य सरकार खुले बाजार से सात से सवा प्रतिशत की ब्याज दर पर कर्ज उठा रही है। अप्रैल 2025-26 में महायुति सरकार ने 34,589 करोड़ रुपये का कर्ज लिया। इसमें से 21,956 करोड़ रुपये पुराने कर्ज के भुगतान में खर्च हुए। मई में सरकार ने 19,173 करोड़ रुपये का कर्ज लिया, जिसमें से 19,254 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। इसी प्रकार जून में 22,725 करोड़ रुपये कर्ज लिया गया और इसके बदले 12,262 करोड़ रुपये पुराने कर्ज की अदायगी पर खर्च किए गए। सरकार वर्ष 2025-26 में 64,659 करोड़ रुपये ब्याज के रूप में चुकाएगी। यानी अब सरकार ब्याज और मूलधन चुकाने के लिए भी कर्ज पर निर्भर होती जा रही है।
इस पर पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि राज्य पर कर्ज 9 लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंच चुका है, जबकि सरकार ने कोई बड़ी नई परियोजना शुरू नहीं की है, फिर भी कर्ज में इजाफा हो रहा है। सवाल है कि आखिर यह पैसा कहां खर्च हो रहा है? उन्होंने आगे कहा कि यदि आप ठेकेदारों के फायदे के लिए कर्ज ले रहे हैं और उसके जरिये बांध, पुल या सड़कें बनवा रहे हैं, तो मैं इसे विकास नहीं मानता। कर्ज कम करने की दिशा में ध्यान देना ज़रूरी है।
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इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नाना पटोले ने कहा कि महाराष्ट्र की आर्थिक हालत बेहद खराब हो चुकी है। इसके लिए कोई और नहीं, बल्कि महायुति सरकार ही जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि राज्य की आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी है, लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि सरकार इस दिशा में कोई प्रयास नहीं कर रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि महायुति गठबंधन में तीन अलग-अलग विचारधाराओं वाले दल शामिल हैं। इसी कारण से सरकार में समन्वय की भारी कमी है, जिससे राज्य की वित्तीय हालत और खराब हो गई है।