मुंबई जेजे अस्पताल (pic credit; social media)
Mumbai JJ Hospital: महाराष्ट्र के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित अस्पतालों में शामिल जे.जे. अस्पताल ने एक बार फिर अपनी चिकित्सा उत्कृष्टता साबित की है। लातूर निवासी 40 वर्षीय गणेश ढाकटोड़े पिछले आठ महीनों से पैर दर्द, सूजन और चलने-फिरने में कठिनाई से जूझ रहे थे। सड़क दुर्घटना में उन्हें दाहिने पैर में गंभीर चोटें आई थीं जिनका इलाज कई जगह संभव नहीं हो पाया। जे.जे. अस्पताल ने उन्हें नई जिंदगी दी और खास बात यह रही कि महात्मा ज्योतिराव फुले जन आरोग्य योजना के तहत मरीज को लगभग कोई आर्थिक बोझ नहीं उठाना पड़ा।
बाइक दुर्घटना में गणेश ढाकटोड़े को दाहिने पैर में डिस्टल एंड फीमर कंपाउंड ग्रेड-3 फ्रैक्चर और डिस्टल 1/3rd टिबियल फ्रैक्चर हुआ था। इलाज के लिए उन्होंने कई अस्पतालों का रुख किया लेकिन जगह न मिलने से परिवार पर मानसिक दबाव बढ़ता गया। आखिरकार वे मुंबई के जे.जे. अस्पताल पहुंचे, जहां ऑर्थोपेडिक विभाग के एचओडी डॉ. नादिर शाह के मार्गदर्शन में उनका उपचार शुरू हुआ।
24 अक्टूबर 2024 को टिबिया हड्डी पर एक्स-फिक्स और टेंस नेलिंग की गई। इसके बाद 5 नवंबर को प्रॉक्सिमल पिन्स का रिविजन, 13 नवंबर को घुटने के पास जांघ की डेब्राइडमेंट और 25 नवंबर को प्लास्टिक सर्जरी विभाग द्वारा वाउंड डिफेक्ट क्लोजर किया गया। जनवरी 2025 में उनका एक्स-फिक्स रिमूवल कर डिस्टल एंड फीमर ऑस्टियोटॉमी, बायकॉलम्नर प्लेटिंग, बोन ग्राफ्टिंग और एंटीबायोटिक स्टिम्यूलन इन्सर्शन किया गया। इस दौरान टिबिया की टेंस नेल भी निकाली गई।
पूरे उपचार के दौरान ऑर्थोपेडिक और प्लास्टिक सर्जरी टीम के साथ एनेस्थीसिया विभाग ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ. उषा बडोले और डॉ. प्रेर्णा शिंगारे ने सफल एनेस्थीसिया प्रबंधन किया जिससे ऑपरेशन बिना किसी जटिलता के पूरा हुआ।
यह संपूर्ण जटिल सर्जरी महात्मा ज्योतिराव फुले जन आरोग्य योजना के तहत की गई। इस योजना की वजह से गणेश ढाकटोड़े को लगभग कोई आर्थिक बोझ नहीं सहना पड़ा। परिवार ने जे.जे. अस्पताल की मेडिकल टीम और सरकार की योजना का आभार व्यक्त किया।