जोगेश्वरी ट्रॉमा सेंटर (सौ. सोशल मीडिया )
Mumbai News In Hindi: बीएमसी ने जोगेश्वरी (पूर्व) स्थित एचबीटी ट्रॉमा केयर सेंटर में डॉक्टरों की भर्ती में भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन से जुड़े गंभीर आरोपों की जांच के लिए उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। ये मामला तब सामने आया जब सांसद रविंद्र वायकर ने अस्पताल की भर्ती प्रक्रिया और प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए।
शिकायत के अनुसार, अक्टूबर 2024 से मार्च 2025 के बीच लगभग 60 से 70 डॉक्टरों की नियुक्ति बिना अनिवार्य इंटरव्यू लिए ही कर दी गई। आरोप है कि उस समय के मेडिकल सुपरिटेंडेंट के निर्देश पर एक संविदा लिपिक ने ये नियुक्तियां प्रक्रिया में डाल दी।
बताया जाता है कि कई नियुक्त डॉक्टरों ने कभी कार्यभार ग्रहण नहीं किया, फिर भी फर्जी उपस्थिति हस्ताक्षर के आधार पर वेतन निकाला गया। इससे संकेत मिलता है कि सरकारी धन की हेराफेरी के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया होगा।
इन खुलासों के बाद कार्यवाहक मेडिकल सुपरिटेंडेंट ने औपचारिक जांच की मांग की। बीएमसी ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है, जिसमें कूपर अस्पताल की संयुक्त मुख्य कार्मिक अधिकारी मृणालिनी सूर्य, कूपर अस्पताल की मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ। नीलम रेडकर और एलटीएमजी अस्पताल के कार्यवाहक डिप्टी डीन डॉ। घनश्याम आहूजा शामिल हैं।
यह पैनल भर्ती और उपस्थिति से जुड़े सभी रिकॉर्ड की जांच करेगा, सांसद वैकर द्वारा उठाए गए आरोपों का सत्यापन करेगा और वरिष्ठ अधिकारियों को विस्तृत रिपोर्ट सौंपेगा। यह जांच इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे यह स्पष्ट होगा कि क्या एक बड़े भर्ती घोटाले ने मुंबई के प्रमुख ट्रॉमा केयर केंद्रों में से एक की कार्यक्षमता को प्रभावित किया है।
जोगेश्वरी ट्रॉमा केयर अस्पताल पश्चिमी उपनगरीय क्षेत्र में आपातकालीन और दुर्घटना मामलों के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, ऐसे में चिकित्सा स्टाफ की सत्यनिष्ठा अत्यत आवश्यक है। यदि दर्जनों नियुक्तियां वास्तव में फर्जी पाई जाती है, तो यह मरीजों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करता है और इस संभावना को भी उजागर करता है कि अयोग्य या अनुपस्थित व्यक्तियों को डॉक्टर के रूप में सूचीबद्ध किया गया।
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स्वास्थ्य से जुड़े एक एक्टिविस्ट का दावा है कि यह चिंताजनक प्रवृत्ति कुछ अन्य बीएमसी अस्पतालों में भी दिखाई दे रही है, जहां बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली को दरकिनार कर मैन्युअल रजिस्टरों का उपयोग कर ऐसे फर्जी भुगतानों को आसान बनाया गया।