भक्तों की अटूट आस्था का प्रतीक (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Mumbai News: गणेश चतुर्थी का त्योहार आते ही पूरे देश में एक अलग ही उल्लास छा जाता है, लेकिन मुंबई की रौनक और भव्यता का मुकाबला शायद ही कोई कर पाए। ढोल-ताशों की गूंज, ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयघोष और लाखों भक्तों की भीड़ के बीच एक नाम सबसे खास है – लालबागचा राजा। यह सिर्फ एक पंडाल नहीं, बल्कि लोगों की आस्था और विश्वास का प्रतीक है, जहां हर साल लाखों भक्त अपनी मन्नतें लेकर आते हैं।
मुंबई के परेल स्थित लालबागचा राजा मंडल 91 वर्षों से लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे दिल से यहां आकर प्रार्थना करता है, उसकी हर मुराद जरूर पूरी होती है। इसी वजह से उन्हें ‘मन्नतों का राजा’ भी कहा जाता है। हर साल की तरह इस बार भी गणेश चतुर्थी के अवसर पर बड़ी हस्तियों से लेकर आम जनता तक, हजारों-लाखों लोग बप्पा के दर्शन करने के लिए उमड़ रहे हैं।
इस साल यहां गणपति की 22 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित की गई है, जो तमिलनाडु के रामेश्वरम की पौराणिक कथा से प्रेरित है। मंडल के उपाध्यक्ष सिद्धेश कोरगावकर ने बताया कि मूर्ति और इसकी सजावट में रामेश्वरम की थीम को दर्शाया गया है, जिसमें हनुमानजी रामेश्वरम से भगवान शंकर का पिंड लेकर आते हैं।
लालबागचा राजा मंडल की स्थापना 1934 में हुई थी, जिसका एक दिलचस्प इतिहास है। करीब नौ दशक पहले, इस इलाके के मछुआरों और दुकानदारों ने अपने बाजार के लिए एक स्थायी जगह मिलने की मन्नत मांगी थी। जब उनकी यह मन्नत पूरी हुई, तो उन्होंने आभार व्यक्त करते हुए एक छोटी सी गणेश मूर्ति स्थापित की। यहीं से यह परंपरा शुरू हुई और आज भी पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ जारी है। यह गणेशोत्सव सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक सामुदायिक एकजुटता का भी प्रतीक है।
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भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए इस साल भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। मंडल द्वारा जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, और हजारों पुलिसकर्मी व स्वयंसेवक तैनात किए गए हैं ताकि भक्तों को किसी भी तरह की असुविधा न हो। पंडाल के अंदर श्रद्धालुओं के लिए मेडिकल असिस्टेंस, पानी और शौचालय जैसी सभी जरूरी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं।
लालबागचा राजा सिर्फ एक मूर्ति नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों के लिए उम्मीद, विश्वास और आस्था का केंद्र हैं। हर साल बप्पा के आगमन के साथ ही यह पूरा इलाका एक विशाल उत्सव में तब्दील हो जाता है, जो मुंबई की सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न हिस्सा है।