महायुति में तकरार (सौजन्य-एएनआई)
मुंबई: बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) व राकां (अजित पवार) के गठबंधन वाली महाराष्ट्र की महायुति सरकार के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच शीत युद्ध चलने, शिंदे के नाराज होने, कम विधायक होने के बाद भी अजित को ज्यादा महत्व मिलने की चर्चा बार-बार उठती रही है। अब इन्हीं खबरों को हवा देनेवाली कुछ और चीजें महायुति सरकार के बजट 2025-26 के दौरान देखने को मिली है।
बजट में अजित ने एक बार फिर दादागिरी दिखाते हुए अपने मंत्रियों को उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के मंत्रियों से ज्यादा धन दे दिया है। अर्थात फडणवीस सरकार में शिंदे के मंत्रियों से सौतेला बर्ताव किया गया है। इसके बाद यह सवाल उठने लगा है कि अब शिंदे क्या करेंगे?
वर्ष 2021 में शिवसेना में ऐतिहासिक बगावत का नेतृत्व करने के दौरान एकनाथ शिंदे ने अजित पवार के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री व पार्टी के पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे के का साथ छोड़ने का दावा किया था। शिंदे ने कांग्रेस पर हिंदुत्व विरोधी होने तथा अजित पर शिवसेना के मंत्रियों, विधायकों को कम फंड देने का आरोप लगाते हुए बीजेपी नीत महायुति में शामिल होने का दावा किया था। हालांकि बाद में खुद अजित भी एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार का हिस्सा बने तो शिंदे बगलें झांकने को मजबूर हो गए थे। अब सोमवार को पेश किए गए बजट के बाद शिंदे एक बार फिर से सवालों में घिर गए हैं।
महायुति में बीजेपी के 132, उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना के 57 और अजित पवार की राकां के 41 विधायक हैं। इसलिए विधायकों की संख्या के हिसाब से राष्ट्रवादी पार्टी तीसरे स्थान पर है। लेकिन राकां मंत्रियों के विभागों को प्राप्त धनराशि शिवसेना मंत्रियों के विभागों को प्राप्त धनराशि से 14,957 करोड़ रुपये अधिक है। इन तीनों दलों पर गौर करें तो शिवसेना के मंत्रियों को सबसे कम धनराशि मिली है। जबकि राज्य मंत्रिमंडल में बीजेपी के सदस्यों की संख्या सबसे अधिक है। इसलिए, यह स्पष्ट है कि उन्हें सबसे अधिक धनराशि प्राप्त होगी।
भाजपा मंत्रियों के विभागों को 89,128 करोड़ रुपए की धनराशि प्राप्त हुई है। अजित पवार की राकां के मंत्रियों को दी गई धनराशि 56,563 करोड़ रुपए है। तो वहीं शिवसेना के मंत्रियों के विभागों को 41,606 करोड़ रुपए की धनराशि दी गई है। फडणवीस सरकार में शिवसेना के मंत्रियों की संख्या तो अधिक है, लेकिन उन्हें मिलने वाला धन बहुत कम है।
इतना ही नहीं इस बजट में शिंदे के नेतृत्ववाली पिछली महायुति सरकार के दौरान शुरू की गई तीन योजनाओं पर अजित ने बजट में कैंची चला दी है। ये तीन योजनाएं नीचे दिए अनुसार है।
त्यौहारों के अवसर पर राज्य में राशन कार्ड धारकों को मात्र 100 रुपए में कुछ आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराई जा रही थीं। इसमें एक किलो चीनी, एक किलो सूजी, एक किलो चना दाल और एक लीटर पाम ऑयल शामिल था। पिछले वर्ष इस योजना पर 602 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। लेकिन अब गुड़ी पड़वा की पूर्व संध्या पर नागरिकों को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। क्योंकि इस वर्ष के बजट में इस योजना के लिए कोई धनराशि उपलब्ध नहीं कराई गई।
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इसी तरह एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री रहने के दौरान वरिष्ठ नागरिकों के लिए तीर्थ यात्रा योजना शुरू की थी। इस माध्यम से वरिष्ठ नागरिकों को महत्वपूर्ण धार्मिक स्थानों पर ले जाया गया। बताया गया है कि लगभग आठ हजार नागरिक इससे लाभान्वित हुए थे। लेकिन इस बजट में तीर्थ यात्रा योजना के लिए एक भी रुपया आवंटित नहीं किया गया है।
शिंदे ने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार द्वारा शुरू की गई गरीबों के लिए 10 रुपये में शिव भोजन थाली योजना को जारी रखा था। लेकिन अजित अब शिव भोजन थाली के लिए एक भी पैसा आवंटित नहीं किया है।