सीजेआई बीआर गवई (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: भारत के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई ने रविवार को अपने पूर्व संस्थान का दौरान किया। इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर बात की। सीजेआई ने कहा कि जज बनना 10 से 5 की नौकरी नहीं है, यह समाज की सेवा और राष्ट्र की सेवा करने का अवसर है। हाल ही में जजों के असभ्य व्यवहार की शिकायते सामने आई थी, जिसके बाद उनका ये बयान आया। बीआर गवई ने कहा कि जजों को ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जिससे इस प्रतिष्ठित संस्थान पर किसी भी तरह की आंच आए।
उन्होंने कहा कि इस प्रतिष्ठित संस्थान की प्रतिष्ठा कई पीढ़ियों के वकीलों-जजों की निष्ठा और समर्पण से बनी है। उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि जजों से उम्मीद की जाती है कि वे अपने विवेक, पद की शपथ और कानून के मुताबिक काम करें। उन्हें केस का फैसला होने पर विचलित नहीं होना चाहिए। जज अपनी शपथ-प्रतिबद्धता के लिए सच्चे रहें।
चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि कानून या संविधान की व्याख्या व्यावहारिक होनी चाहिए। ये समाज की जरूरत और वर्तमान पीढ़ी की परेशानियों के मुताबिक होनी चाहिए। जजों की नियुक्ति के मामले पर सीजेआई ने कहा कि किसी भी कीमत पर न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट में जजों की नियुक्तियों के दौरान कॉलेजियम तय करता है कि विविधता, समावेशिता के साथ-साथ योग्यता भी बनी रहे।
इस दौरान सीजेआई ने अपने पूर्व संस्थान ‘चिकित्सक समूह शिरोडकर स्कूल’ की कक्षाओं का दौरा किया और अपने पुराने सहपाठियों के साथ बातचीत की। सीजेआई ने इसी संस्थान में प्राथमिक से माध्यमिक स्तर तक की पढ़ाई पूरी की। रविवार को उन्होंने कहा कि अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करने से व्यक्ति में अवधारणा के स्तर पर समझ बढ़ती है और जीवन के लिये मजबूत मूल्यों का विकास होता है। उन्होंने मुंबई के एक मराठी-माध्यम स्कूल में अपने छात्र दिनों को याद किया।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘‘आज मैं जिस भी मुकाम पर पहुंचा हूं, उसमें मेरे शिक्षकों और इस स्कूल की अहम भूमिका रही है। यहां मुझे जो शिक्षा और मूल्य मिले, उन्होंने मेरे जीवन को दिशा दी। सार्वजनिक भाषण में मेरी यात्रा इसी मंच से शुरू हुई। भाषण प्रतियोगिताओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से, मैंने आत्मविश्वास हासिल किया। मैं आज जो कुछ हूं, यह उन अवसरों की वजह से ही हूं।”
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चीफ जस्टिस ने मराठी माध्यम में अपनी स्कूली शिक्षा को याद करते हुए कहा कि अपनी मातृभाषा में अध्ययन करने से अवधारणा के स्तर पर बेहतर समझ विकसित होती है तथा व्यक्ति में मजबूत मूल्य विकसित होते हैं, जो जीवन भर आपके साथ रहते हैं।
भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) भूषण गवई को मई में सर्वोच्च न्यायिक पद संभालने के लिए, 8 जुलाई को यहां महाराष्ट्र विधानमंडल परिसर में सम्मानित किया जाएगा। विधानमंडल सचिवालय ने एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा कि इस कार्यक्रम में सीजेआई भारत का संविधान विषय पर संबोधन देंगे। सम्मान समारोह विधान भवन के सेंट्रल हॉल में आयोजित किया जाएगा। बयान में कहा गया है कि यह कार्यक्रम न्यायमूर्ति गवई के सर्वोच्च न्यायिक पद पर आसीन होने के सम्मान में आयोजित किया जा रहा है, जो पूरे महाराष्ट्र के लिए उपलब्धि है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)