संजय राउत-देवेंद्र फडणवी-उद्धव ठाकरे (सौजन्य-एएनआई)
मुंबई: महाराष्ट्र में नागपुर हिंसा को लेकर दंगों का ठीकरा अब मुख्यमंत्री फडणवीस ने ‘छावा’ फिल्म पर फोड़ा है। इस मामले को सामना में आलोचना की है। सीएम ने घोषणा की है कि दंगों के अपराधियों को नहीं छोड़ा जाएगा। सामना ने इस पर पलटवार करते हुए सवाल उठाया कि फडणवीस क्या करेंगे? ‘छावा’ फिल्म के निर्माता, निर्देशक और औरंगजेब की भूमिका निभाने वाले कलाकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करेंगे? क्योंकि उनकी बनाई ‘छावा’ फिल्म की वजह से दंगे हुए हैं। अब इस ‘छावा’ फिल्म के खास शो मुख्यमंत्री ने ही आयोजित किए थे।
सामना ने आरएसएस पर निशाना साधा और कहा भाजपा और संघ परिवार की ओर से भी ‘छावा’ का प्रचार शुरू था। ‘छावा’ फिल्म के अंत में छत्रपति संभाजी महाराज को औरंगजेब द्वारा क्रूर तरीके से मारे जाने का दृश्य भावनाओं को भड़काने वाला है। छत्रपति संभाजी महाराज को औरंगजेब ने क्रूरतापूर्वक मारा, छत्रपति संभाजी महाराज ने धर्म के लिए बलिदान दिया, पर औरंगजेब के सामने झुके नहीं, यह इतिहास महाराष्ट्र को पता है। जहां छत्रपति संभाजी महाराज की हत्या हुई, वहां स्मारक है। इस पर ग्रंथ, पुस्तकें, उपन्यास हैं, लेकिन उन्हें पढ़कर दंगे भड़के और लोग कुदाल-फावड़ा लेकर औरंगजेब की कब्र खोदने निकल पड़े, ऐसा कभी नहीं हुआ।
सामना में नागपुर हिंसा पर लिखा नागपुर में दंगा कुरान की आयत लिखी हुई चादर जलाए जाने की वजह से हुआ। इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया पर इस जलती हुई चादर का वीडियो जब वायरल हो रहा था तब नागपुर की पुलिस क्या कर रही थी? उन्होंने तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं की? पुलिस शांत बैठी रही। यह गृह मंत्रालय की नाकामी है। ‘पुलिस वालों शांत बैठो, मुसलमानों का गुस्सा बढ़ने दो और उन्हें दंगे के लिए सड़कों पर उतरने दो’, ऐसा किसी का आदेश था क्या? खरी-खरी बोलें तो भारतीय जनता पार्टी की नीयत साफ नहीं होने की वजह से महाराष्ट्र जल रहा है।
आदमी-आदमी के बीच, जाति-धर्म के बीच झगड़े लगाने का काम हुआ। अब लोगों और कब्रों के बीच लड़ाई लगाकर भाजपा तालियां बजा रही है। औरंगजेब सत्ता के लिए धर्म का इस्तेमाल करता था। आज की भाजपा भी वही कर रही है। धर्म का इस्तेमाल करके महाराष्ट्र को जलाने के लिए वे निकल पड़े हैं। 1707 में औरंगजेब इसी मिट्टी में मरा। 2025 में भाजपा को एहसास हुआ कि 14 रुपए में बना यह मकबरा देश के लिए खतरनाक है।
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शिवसेना यूबीटी के सामना मुखपत्र में लिखा गया कि इस औरंगजेब का जन्म गुजरात में हुआ था। वह महाराष्ट्र पर कब्जा करने आया और यहीं उसकी कब्र बनी। भाजपा समर्थक जब औरंगजेब की कब्र पर दंगे भड़का रहे थे उसी समय महाराष्ट्र के एक शिक्षक ने आत्महत्या कर ली। उसे 18 साल तक वेतन नहीं मिला। किसान कर्ज में डूबकर आत्महत्या कर रहे हैं, इधर मोदी सरकार अमीरों के लाखों-करोड़ के कर्ज माफ करने में व्यस्त है। अमीरों को यह दान देना और गरीबों के बच्चों को हिंदू-मुस्लिम के खेल में उध्वस्त करना।