बॉम्बे हाईकोर्ट इमेज-सोशल मीडिया।
Bombay High Court Order On Sanjay Gandhi National Park: बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बोरीवली पूर्व स्थित संजय गांधी नेशनल पार्क (एसजीएनपी) क्षेत्र में अतिक्रमणकारियों के पुनर्वास के लिए क्षेत्र से 90 एकड़ वैकल्पिक स्थल खोजने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने नेशनल पार्क में अतिक्रमणकारियों के पुनर्वास में देरी की है। बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अखंड की पीठ ने यह सख्त आदेश दिया है।
सरकार ने मरोल-मरोशी क्षेत्र में प्रस्तावित पुनर्वास स्थलों को नियमित करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था। हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट यह बताया है कि यह भूमि आरे कॉलोनी के पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में आती है।
न्यायालय ने कहा कि वैकल्पिक भूमि संजय गांधी नेशनल पार्क क्षेत्र में नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने दो दशकों से अधिक समय से सरकार की निष्क्रयता पर नाराजगी व्यक्त की है। यह सुनवाई एक गैर-सरकारी संगठन, ‘कंजर्वेशन एक्शन ट्रस्ट’ की ओर से दायर एक अवमानना याचिका पर हो रही है।
यह याचिका बॉम्बे एनवायर्नमेंटल एक्शन ग्रुप द्वारा 1995 में दायर एक जनहित याचिका (PIL) पर 1997 में आए आदेश के अनुपालन न होने के संबंध में थी। इसके अलावा, सम्यक जनहित सेवा संस्था, जो झुग्गी-बस्तियों के निवासियों का एक समाज है, ने भी एक पीआईएल दायर की है, जिसमें पात्र अतिक्रमणकारियों के पुनर्वास की मांग की गई है। बता दें कि 13 अक्टूबर, 2025 को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को पुनर्वास योजना के लिए जमीन की जानकारी देने का निर्देश दिया था।
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राज्य के महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने कहा कि संजय गांधी नेशनल पार्क के वास पुनर्वास के लिए आवश्यक भूमि उपलब्ध है, लेकिन चूंकि यह ‘हरित पट्टी के अंतर्गत आती है। इसलिए कुछ प्रक्रियाएं पूरी करनी होगी, इस पर याचिकाकर्ताओं के वकील जमान अली ने कहा कि मरोल-मरोशी इलाका आरे के अति संवेदनशील क्षेत्र में है, जहा निर्माण की अनुमति नहीं है और यह मुद्दा फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।