बॉम्बे हाई कोर्ट (pic credit; social media)
Sohrabuddin Sheikh Fake Encounter Case: सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में बुधवार को सीबीआई ने बॉम्बे हाई कोर्ट को सूचित किया कि उसने 2005 में गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख, उनकी पत्नी कौसर और सहयोगी तुलसीराम प्रजापति के कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में सभी 22 आरोपी पुलिसकर्मियों को क्लीनचिट दे दी है।
22 नवंबर 2005 को गुजरात और राजस्थान पुलिस की संयुक्त टीम ने हैदराबाद से सांगली जाते समय सोहराबुद्दीन, कौसर और तुलसीराम को रोका था। उन्हें हिरासत में लेकर बाद में कथित फर्जी मुठभेड़ों में मार दिया गया।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम ए. अंखड़ की खंडपीठ इस मामले में मृतक के भाई रुबाबुद्दीन शेख की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। रुबाबुद्दीन ने आरोप लगाया कि पुलिस ने सोहराबुद्दीन और उनके सहयोगियों की हत्या फर्जी मुठभेड़ों में की थी।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई, जिन्होंने गुजरात एटीएस के इंस्पेक्टर नरनसिंह दाभी की ओर से पेश होकर रुबाबुद्दीन की याचिका का उत्तर दिया, ने कहा कि सीबीआई ने आरोपी पुलिसकर्मियों को क्लीनचिट देने का निर्णय सही पाया है।
इस क्लीनचिट से मामले में पुलिस अधिकारियों को कानूनी राहत मिली है। सीबीआई ने अदालत को स्पष्ट किया कि जांच के दौरान सभी सबूतों और तथ्यों के आधार पर यह निर्णय लिया गया। कोर्ट ने भी इस निर्णय को स्वीकार कर लिया। इस फैसले के बाद आरोपी पुलिसकर्मियों के परिवारों में राहत की भावना है। वहीं मृतक परिवार के सदस्यों ने निर्णय पर आश्चर्य और निराशा व्यक्त की है।
इस मामले ने देशभर में फर्जी मुठभेड़ों और पुलिस कार्यप्रणाली पर बहस को फिर से तेज कर दिया। 22 पुलिसकर्मियों को क्लीनचिट मिलने से जांच और न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता और जिम्मेदारी पर भी सवाल उठते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में संतुलित और निष्पक्ष जांच बेहद जरूरी होती है, ताकि न्याय का भरोसा जनता में बना रहे।