महायुति (सौजन्य-IANS)
BMC Election 2026: बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव को लेकर महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ महायुति-भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना-के बीच सीट बंटवारे की कवायद अब निर्णायक दौर में पहुंच गई है।
गठबंधन में कुल 227 सीटों में से 207 सीटों पर सहमति बन चुकी है, जबकि शेष 20 सीटों को लेकर दोनों दलों के बीच बातचीत जारी है। तय हुए फॉर्मूले के अनुसार, भाजपा 128 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी, जबकि शिवसेना के हिस्से में 79 सीटें आई हैं। यह बंटवारा मुंबई की राजनीति में महायुति के भीतर शक्ति संतुलन को साफ तौर पर दर्शाता है और चुनावी रणनीति की दिशा भी तय करता है।
हालांकि, बची हुई 20 सीटें राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील मानी जा रही हैं। इनमें कई ऐसे वार्ड शामिल हैं, जहां मजबूत संगठन, मौजूदा नगरसेवक या स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली नेता सक्रिय हैं।
इन्हीं वजहों से इन सीटों पर सहमति बनाना गठबंधन के लिए चुनौती बना हुआ है। सूत्रों के मुताबिक, इन विवादित सीटों को लेकर महायुति के भीतर अब तक कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं और आने वाले समय में और बैठकों की संभावना है। यदि निचले स्तर पर समाधान नहीं निकलता, तो शीर्ष नेतृत्व के हस्तक्षेप की पूरी संभावना जताई जा रही है।
अब इन शेष सीटों पर अंतिम फैसला मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के हाथ में माना जा रहा है। दोनों नेताओं की भूमिका इस वक्त अहम मानी जा रही है, क्योंकि किसी भी तरह की देरी से स्थानीय स्तर पर असंतोष या बगावत जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।
सीट बंटवारे पर अंतिम मुहर लगने से पहले ही भाजपा और शिवसेना अपनी पहली उम्मीदवार सूची जारी करने की तैयारी में हैं, जिसे कल तक सामने लाए जाने की संभावना है।
इससे साफ संकेत मिलते हैं कि महायुति चुनावी मैदान में उतरने के लिए पूरी तरह तैयार है और रणनीति को जल्द से जल्द जमीन पर उतारना चाहती है। चुनावी दबाव इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि नामांकन दाखिल करने के लिए केवल तीन दिन शेष हैं। ऐसे में गठबंधन नेतृत्व के सामने सभी मतभेद सुलझाकर एकजुट संदेश देने की चुनौती है।
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गौरतलब है कि बीएमसी देश की सबसे समृद्ध नगरपालिकाओं में गिनी जाती है और इसकी सत्ता महाराष्ट्र की राजनीति में शक्ति का बड़ा प्रतीक मानी जाती है। यही कारण है कि यह चुनाव महायुति के लिए न केवल स्थानीय शासन, बल्कि आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिहाज से भी बेहद अहम माना जा रहा है। वहीं, विपक्षी दल-कांग्रेस और उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना (यूबीटी)महायुति के भीतर चल रही गतिविधियों पर करीबी नजर बनाए हुए हैं।