मुंबई स्वास्थ्य कर्मचारी (सौ. सोशल मीडिया )
Mumbai News In Hindi: आगामी बीएमसी चुनावों की तैयारियों के बीच शहर की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
बीएमसी स्वास्थ्य विभाग के लगभग 80 प्रतिशत कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी पर तैनात किए जाने से आवश्यक नागरिक स्वास्थ्य सेवाओं के बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है।
इससे मुंबईकरों की सेहत पर गंभीर असर पड़ सकता है। सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग के निर्देशों के तहत स्वास्थ्य विभाग के प्रशासनिक कर्मचारियों से लेकर आशा वर्कर, नर्सिंग स्टाफ और पैरामेडिकल कर्मियों तक को चुनावी कार्यों में लगाया गया है। इसके कारण बीएमसी की डिस्पेंसरी और स्वास्थ्य केंद्रों में कर्मचारियों की भारी कमी उत्पन्न हो गई है।
जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करना, बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण, मलेरिया उन्मूलन अभियान जैसे नियमित लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण कार्यों में गंभीर रुकावटें आ रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्टाफ की कमी के चलते मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाएं सबसे अधिक प्रभावित हुई है।
इसके साथ ही टीबी, डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण से जुड़े कार्यक्रम भी धीमे पड़ गए हैं। कई वाड़ों में फील्ड स्तर पर निगरानी और जागरूकता अभियान लगभग ठप हो गए हैं। स्वास्थ्य कर्मियों में इस स्थिति को लेकर नाराजगी भी देखने को मिल रही है।
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एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पहले से ही सीमित संसाधनों के साथ काम किया जा रहा था, ऐसे में 80 प्रतिशत स्टाफ को चुनाव ड्यूटी पर भेजना जनस्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। फैयाज आलम शेख ने इस फैसले पर कड़ी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि चुनाव लोकतंत्र के लिए आवश्यक है, लेकिन सार्वजनिक स्वास्थ्य उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने चुनाव आयोग से अपील की है कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की तैनाती न्यूनतम स्तर तक सीमित रखी जाए।