बॉम्बे हाई कोर्ट व विधायक जयकुमार गाेरे (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने सतारा के पुलिस अधीक्षक को बीजेपी विधायक जयकुमार गोरे पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को गंभीरता से लेने के सख्त निर्देश दिया हैं। जिससे गोरे की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। गोरे पर कोविड काल में 200 से ज्यादा मृत मरीजों को जिंदा बताकर घोटाला करने का आरोप लगा है। इस मामले में मैनी के दीपक देशमुख ने जयकुमार गोरे के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की पीठ ने इस याचिका को गंभीरता से लिया है।
याचिका में जयकुमार गोरे, उनकी पत्नी सोनिया गोरे और घोटाले में शामिल अन्य आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की गई है। राज्य सरकार ने मुफ्त कोरोना इलाज के लिए सभी अस्पतालों और कोविड सेंटरों को दवाओं का बड़ा भंडार मुहैया कराया था। लेकिन गोरे और उनके सहयोगियों पर कोरोना मरीजों से इलाज के पैसे वसूलने का गंभीर आरोप लग रहा है। याचिका में हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज की निगरानी में कोविड काल में इस पूरे घोटाले की गहन जांच की मांग की गई है। कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के बाद अब गोरे की परेशानी बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर सतारा जिले के मायनी-खटाव में स्थित है। इस केंद्र को सतारा जिला कलेक्टर ने कोरोना मरीजों के इलाज के लिए अपने अधीन ले लिया था। इस संगठन के तत्कालीन अध्यक्ष जयकुमार गोरे थे। इस दौरान डॉक्टरों के फर्जी हस्ताक्षर, फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया। आरोप है कि राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं का दुरुपयोग किया गया है।
इस मामले में गोरे ने 200 मृत मरीजों को जिंदा दिखाकर करोड़ों रुपए कमाए। 200 से अधिक मृत रोगियों को विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से पुनर्जीवित और वित्त पोषित किया गया। सरकार ने मुफ्त कोरोना इलाज के लिए सभी अस्पतालों, कोरोना सेंटरों को बड़ी मात्रा में दवा और इंजेक्शन उपलब्ध कराए थे। याचिका में आरोप लगाए गए हैं कि गोरे और उसके साथियों ने कोरोना मरीजों से इलाज के पैसे वसूले गए है।