देवेंद्र फडणवीस और शरद पवार (सौजन्य-एएनआई)
मुंबई: विधानसभा चुनाव 2024 में बीजेपी नीत महायुति को ऐतिहासिक जीत मिली थी। चुनाव में बीजेपी के 130, महायुति में शामिल उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना के 57 और अजित पवार की राकां के 41 उम्मीदवारों को जीत मिली थी। विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाडी (मविआ) चुनाव में महायुति में मिली जीत को ईवीएम की जीत बताती रही है। मविआ की ओर से बार-बार बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग उठती रही है।
मविआ के दावे को सातारा के सह्याद्रि सहकारी शक्कर कारखाना के इलेक्शन से बल मिला है। क्योंकि विधानसभा चुनाव में 1.34 लाख वोट पाने वाले बीजेपी विधायक को बैलट से कराए गए इस चुनाव में शर्मनाक शिकस्त मिली है। सह्याद्री सहकारी शक्कर कारखाने के त्रिकोणीय चुनाव में शरद पवार गुट से पूर्व विधायक और पूर्व सहकारिता मंत्री बालासाहेब पाटिल फिर एक बार बाजी मारने में सफल हुए हैं।
सह्याद्री में सत्तारूढ़ शरद पवार गुट ने भाजपा के मौजूदा विधायक मनोज घोरपड़े और जिला अध्यक्ष धैर्यशील कदम के पैनल को हराकर सभी 21 निदेशक सीटों पर जीत हासिल की। सह्याद्रि सहकारी शक्कर कारखाना का कार्य क्षेत्र सतारा जिले के पांच तालुकाओं (कराड, कोरेगांव, सतारा, खटाव और सांगली जिले के कडेगांव) तक फैला है। यहां चुनाव में कुल 32,205 सदस्यों में से 26,081 सदस्यों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया और बालासाहेब पाटिल को विजेता घोषित किया।
इसमें सत्तारूढ़ पाटिल पैनल के पास 15 हजार से अधिक वोट हैं, जबकि विपक्षी भाजपा विधायक मनोज घोरपडे और कांग्रेस के प्रदेश महासचिव एडवोकेट. उदयसिंह पाटिल के पैनल को 7,000 से 8,000 वोट मिले। भाजपा जिला अध्यक्ष धैर्यशील कदम, किसान मोर्चा के प्रदेश महासचिव रामकृष्ण वेताल और कांग्रेस के निवास थोरात के तीसरे पैनल को 2200 से 2300 वोट मिले।
बीजेपी के मौजूदा विधायक मनोज घोरपडे ने विधानसभा चुनाव में कराड उत्तर विधानसभा सीट से 134,626 वोट प्राप्त करके चुनाव जीते थे। उन्होंने शरद पवार की राकां के उम्मीदवार बालासाहेब पाटिल को हराया था। तब बालासाहेब को 90,935 वोट मिले थे। बालासाहेब पाटिल ने उस हार का बदला सह्याद्री सहकारी शक्कर कारखाने के चुनावों में घोरपड़े को हराकर हिसाब बराबर कर लिया। उन्होंने निदेशक मंडल की सभी 21 सीटों पर विपक्षी उम्मीदवारों को को 7,500 से 8,000 मतों से पराजित किया। बालासाहेब सह्याद्रि में अपराजिता और अजेय बने रहे।
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शरद पवार गुट की महिला प्रदेश अध्यक्ष रोहिणी खड़से ने कहा, “चार महीने पहले 50,000 वोटों के अंतर से जीतने वाले भाजपा विधायक को सह्याद्री फैक्ट्री के लिए बैलेट पेपर पर हुए चुनाव में बेशुमार पैसा खर्च करने के बाद भी विजेता उम्मीदवार को मिले वोटों से आधे वोट भी नहीं मिल सके।”
शरद पवार गुट की इस जीत के बाद अब ये सवाल उठाए जा रहे है कि जहां विधानसभा चुनाव में महायुति को भारी मत से जनता ने जिताया था। उसे अब बैलेट पेपर पर हुए चुनाव में कैसे हार का सामना करना पड़ा। ये सवाल अब सभी के मन में खड़ा हो रहा है।